हजारों का वेतन, ड्यूटी से नदारद शिक्षिका, बदले में पढ़ाते मिली लड़की, सवाल-क्या वेतन से होगी रिकवरी
उत्तराखंड में बदहाल शिक्षा व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। अभी तक हम शिक्षकों की कमी और बदहाल भवनों का रोना ही रोते आ रहे थे, लेकिन यहां तो वो ही शिक्षा व्यवस्था को बट्टा लगा रहे हैं, जिनके हाथों भावी कर्णधार तैयार करने का जिम्मा है। ये हैं शिक्षक। जिनकी मोटा वेतन हजारों में है, लेकिन अपनी नौकरी से ही वह न्याय तक नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही ऐसे उल्टे काम कर रहे हैं, जिसका असर बचपन से ही भावी पीढ़ी पर भी पड़ेगा। क्योंकि ये कहावत है कि जैसा गुरु वैसा चेला। अब गुरु ही यदि सरकार को चूना लगाने लगे तो ऐसे गुरु चेलों को क्या शिक्षा दे पाएंगे। ऐसा ही एक प्रकरण पौड़ी जिले में देखने को मिला। मुख्य शिक्षा अधिकारी डॉ. आनंद भारद्वाज ने एक स्कूल में छापा मारा तो वहां शिक्षिका के बदले एक लड़की पढ़ाते हुए मिली। ऐसे में मुख्य शिक्षा अधिकारी ने स्कूल की प्रभारी प्रधानाध्यापिका के वेतन पर रोक लगाते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही शिक्षिका को निलंबित कर दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)सीईओ के मुताबिक, 20 सितंबर को उन्होंने राजकीय प्राथमिक विद्यालय बग्वाडी, थलीसैण पौड़ी गढ़वाल का
औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान संज्ञान में आया कि प्रभारी प्रधानाध्यापिका शीतल रावत ने अपने स्थान पर किसी ग्रामीण लड़की को छात्र-छात्राओं के अध्यापन के लिए रखा गया है। उसका नाम कुमारी मधु रावत है। उसे 2500.00 रुपये (दो हजार पांच सौ मात्र) मासिक पारिश्रमिक का भुगतान प्राधानाध्यापिका की ओर से दिया जा रहा है। ऐसे में ये प्रकरण अत्यन्त गम्भीर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे में मुख्य शिक्षा अधिकारी ने उप शिक्षा अधिकारी थलीसैण को निर्देशित किया कि उक्त प्रकरण की विस्तृत जांच कर इस सम्बन्ध में प्रभारी प्रधानाध्यापिका शीतल रावत का स्पष्टीकरण लिया जाए। सन्तोषजनक स्पष्टीकरण प्राप्त होने अथवा उप शिक्षा अधिकारी थलीसैण स्पष्टीकरण से सन्तुष्ट होने का प्रमाण पत्र प्राप्त होने तक उन्होंने प्रभारी प्रधानाध्यापिका शीतल रावत के वेतन आहरण पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शिक्षिका को स्पष्टीकरण के बाद ही छोड़ दिया जाएगा, जबकि वह हर माह 50 हजार रुपये से अधिक का वेतन ले रही है, लेकिन उसकी एवज में दूसरी लड़की से काम करा रही है। ऐसे में क्या उसके वेतन की रिकवरी की जाती है, या फिर इस मामले को कुछ दिन हल्ला होने के बाद दबा दिया जाता है। ऐसा नहीं है कि सारे शिक्षक इसी तरह के हैं। कई शिक्षक अपनी मेहनत के बल पर अच्छा रिजल्ट भी दे रहे हैं। कई अपने वेतन से स्कूल का उद्धार भी कर रहे हैं। वहीं, कई ऐसे भी हैं, जो बच्चों को खुद पढ़ाने की बजाय दूसरा रास्ता अपना रहे हैं।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।



