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March 9, 2025

सड़क संसद ने प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं कवि नवेंदु को किया सम्मानित

सड़क संसद की ओर से हिंदी दलित साहित्य के प्रतिष्ठित, ख्यातिप्राप्त कवि, साहित्यकार एवं दलित उपन्यासकार जयप्रकाश नवेन्दु यथा महर्षि जेपी नवेन्दु को सम्मानित किया गया। उन्हें शॉल ओढ़ाने के साथ ही माला पहनाई गई। ये कार्यक्रम देहरादून स्थित दीनदयाल पार्क के बार सड़क किनारे  आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यत्रता वरिष्ठ अधिवक्ता एवं ट्रेड यूनियन नेता डीएन कोठरी ने की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

साहित्यकार नवेन्दु की ओर से कुल 113 कृतियों की रचना कर दलित साहित्य में बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। साथ ही उन्होंने बॉलीवुड की कुछ फिल्मों के गीत भी लिखे। सम्मान समारोह में उत्तराखंड शासन के पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल ने कहा कि ये अत्यंत हर्ष एवं गर्व की बात है कि हमारे बीच के एक शिक्षक साहित्यकार द्वारा दलित समाज में घटित घटनाओं एवं संघर्षों का उल्लेख करते हुए इतनी बड़ी मात्रा में पुस्तकों की रचना की है। यह एक ऐतिहासिक एवं गौरवमयी उपलब्धि है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नवेन्दु को सम्मानित करते हुए  उत्तरांचल प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार आर्य ने कहा कि उनकी कविता, कहानियाँ, उपन्यास एक अलग अध्याय को आयाम देती हैं। एक ऐसा विचार जो कि यथार्थ पूर्ण, तर्कपूर्ण एवं जन संघर्ष की व्यापकता का अहसास करता है। केंद्रीय कर्मचारी नेता जगदीश कुकरेती ने नवेन्दु की ओर से रचित दलित साहित्य में उल्लिखित तथ्यों का ऐतिहासिक एवं सामाजिक सरोकार से परिपूर्ण बताते हुए कहा कि यह आगामी संघर्षों में देश की मेहनतकश अवाम के लिए कारगर हथियार साबित होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने उनकी रचनाओं को यथार्थवादी एवं प्रेरणादायक बताया। सतीश धौलाखण्डी ने एक जनगीत एवं विक्रम पुण्डीर ने उनकी कविता का काव्य पाठ किया। सड़क संसद को पत्रकार संजय कोठियाल, वरिष्ठ साहित्यकार गोविंदराम नौटियाल, शंकर सागर, हरजिंदर सिंह, राकेश पंत, हरि सिंह निषेद, वीरेंदर त्यागी, डॉ जीतेन्द्र भारती, जयकृत कंडवाल, राजेंद्र इष्टवाल, अशोक अकेला, विनोद खंडूरी, युगपाल सिंह असवाल, चंद्र प्रकाश थापा, ए के कटारिया, राजेश रावत, वी के डोभाल आदि ने सम्बोधित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अपने सम्बोधन में नवेन्दु ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए अपनी कविताओं का पाठ किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने बड़ी विकट परिस्थितयों में संघर्ष कर इस आयाम को प्राप्त किया है। मेरी कोशिश होगी कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से दलित विमर्श को गति प्रदान की जाएगी। उनकी ओर से रचित दलित साहित्य के ऊपर मगध विश्वविद्यालय, बिहार एवं भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली में कई छात्रों द्वारा पीएचडी की गई है। साथ ही उनकी कृतियों को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है। सभा का संचालन इप्टा के हरिओम पाली ने किया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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