Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 22, 2024

सचिन पायलट बैठे अनशन पर, सीएम गहलोत ने दिखाए सपने, एक सवाल-धरने को कहीं राहुल का मौन समर्थन तो नहीं

राजस्थान में अपनी ही सरकार के खिलाफ सचिन पायलट का अनशन शुरू हो गया है। कांग्रेस का कहना है कि सचिन पायलट का अनशन पार्टी विरोधी और हितों के खिलाफ है। हालांकि, सचिन पायलट का ये कदम राजस्थान सरकार के लिए चुनौती साबित हो सकता है, क्‍योंकि राज्‍य में करीब 8 महीने बाद चुनाव हैं। एक तरफ जहां सचिन पायलट ने अनशन शुरू कर दिया है. वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान को लेकर अहम योजनाओं का ऐलान करते दिखाई दिए। उन्होंने कैबिनेट की बैठक की। इसमें सभी विधायकों को उपस्थित होने को कहा गया। इसके बाद ही अशोक गहलोत ने मेरे प्यारे देशवासियों हमने तय किया है कि 2030 तक राजस्थान को नंबर वन बनाना है। राज्य में महंगाई राहत कैंप लगाए जाएंगे। आपका बोझ मेरा बोझ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बड़ी संख्या में लोग भी हुए धरने में शामिल
सचिन पायलट आज अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ जयपुर के शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन कर रहे हैं। अनशन के लिए निकलकर सबसे पहले पायलट ज्योतिबा फुले के स्मारक पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद वह शहीद स्मारक के लिए रवाना हुए, जहां बड़ी संख्या में उनके समर्थक मौजूद हैं। हालांकि, अनशन के दौरान उन्होंने मीडिया से बात नहीं की और मौन साधे रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सचिन पायलट ने उठाए थे सवाल
इससे पहले सचिन ने कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार के दौरान खनन घोटाला एक्साइज़ घोटाले हुआ था, लेकिन उसके खिलाफ गहलोत सरकार कोई कार्रवाई नहीं हुई। सचिन ने कहा इस मुद्दे को लेकर उन्होंने गहलोत सरकार को एक साल पहले दो-दो चिट्ठियां लिखी पर उसका कोई जवाब नहीं मिला। सचिन के अनशन पर बैठने के ऐलान के साथ राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सवाल उठाए और सचिन पायलट के इस तरीके पर आपत्ति जताई, उन्होंने इसे पार्टी के हितों के ख़िलाफ़ क़दम बताया। पायलट ने राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ एक नया मोर्चा खोलते हुए रविवार को कहा था कि वह राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में कथित तौर पर हुए भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की मांग को लेकर 11 अप्रैल को जयपुर में शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सचिन पायलट की मांग
बीजेपी सरकार के भ्रष्टाचार की जांच हो
45 हजार करोड़ के खान घोटाले पर एक्शन हो
चुनाव से पहले सरकार को सच बताना चाहिए
राजस्थान सरकार एजेंसियों का इस्तेमाल करे
आरोप लग रहे हैं BJP से हमारी मिलीभगत है
सरकार की विश्वसनीयता के लिए जांच जरूरी (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदेश प्रभारी ने धरने को बताया था पार्टी विरोधी गतिविधि
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने एक दिन पहले कहा कि सचिन का अनशन पार्टी के खिलाफ है। ये पार्टी विरोधि गतिविधि है। अगर उनकी अपनी सरकार से कोई समस्या है तो मीडिया और जनता की बजाय पार्टी में चर्चा की जा सकती है। पायलट का इस तरीके से संवाददाता सम्मेलन करना ठीक नहीं है। उन्हें पहले उनके समक्ष इस मुद्दे को उठाना चाहिए था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

20 बैठकें की, लेकिन तब नहीं बोला
रंधावा ने कहा कि उन्होंने प्रभार संभालने के बाद से पायलट के साथ 20 से अधिक बैठकें की हैं, लेकिन पूर्व उपमुख्यमंत्री ने उनके सामने भ्रष्टाचार का मुद्दा कभी नहीं उठाया। रंधावा ने कहा कि हमने कई मुद्दों के बारे में बात की, लेकिन उन्होंने यह मुद्दा नहीं उठाया और फिर प्रेस के पास जाना। यह कहना कि हम भ्रष्टाचार पर काम नहीं कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हमने की हैं ये कार्रवाई
रंधावा ने कहा कि हमने गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ कार्रवाई की। दूसरी बात यह है कि हमने राजस्थान में जो किया है, किसानों के कर्ज माफ करने, बिजली बिल पर, सिलेंडर पर सब्सिडी, पुरानी पेंशन योजना वापस लाने जैसी योजना। उन्हें (पायलट) उस बारे में बात करनी चाहिए थी और फिर कहना था कि अब हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी, लेकिन यह उचित नहीं था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कहीं राहुल और प्रियंका के इशारे पर तो नहीं अनशन
राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के अनशन पर राजनैतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर चल पड़ा है। ऐसी भी चर्चा हो रही है कि क्या सचिन पायलट ने यह कदम राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के इशारे पर तो नहीं उठाया है। करीब 6 महीने पहले सितंबर 2022 में गांधी परिवार सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी देने वाला था। कहा यह भी जा रहा है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी जाने वाली है। इसी अंदेशे के कारण गहलोत समर्थक विधायकों ने मुख्यमंत्री आवास पर होने वाली विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया था। गहलोत का समर्थन करते हुए 80 से ज्यादा विधायकों ने 25 सितंबर 2022 की आधी रात को विधानसभा अध्यक्ष के घर जाकर इस्तीफे सौंप दिए थे। इसके पीछे वजह यही थी कि कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी देने वाला था जो गहलोत के कट्टर समर्थकों को मंजूर नहीं था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सितंबर 2022 के घटनाक्रम ने आलाकमान को किया बैचेन
25 सितंबर 2022 के घटनाक्रम को कौन भूल सकता है। जब गहलोत समर्थक विधायकों ने आलाकमान के खिलाफ बगावत कर दी थी। आलाकमान के निर्देश पर बुलाई गई विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करते हुए शांति धारीवाल के आवास पर सामानान्तर बैठक की गई। तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने इस हरकत को पार्टी विरोधी बताया था और इसे अनुशासनहीनता बताते हुए सोनियां गांधी को लिखित में शिकायत की। बाद में शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ को नोटिस जारी किए, लेकिन 5 महीने बीतने के बावजूद अनुशासन समिति ने इन तीनों नेताओं के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सचिन पायलट बार बार यह बयान देते आए हैं कि कांग्रेस की अनुशासन समिति को अपना फैसला सुनाना चाहिए लेकिन कोई फैसला नहीं सुनाया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

खुलकर बगावत की थी गहलोत गुट ने
सितंबर 2022 को होने वाली विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पास होना था। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का यह प्रस्ताव लेकर प्रदेश प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे जयपुर आए थे। यह प्रस्ताव राजस्थान के मुख्यमंत्री के बारे में अंतिम निर्णय करने का अधिकार कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व को दिए जाने का था। गहलोत गुट के विधायकों को इस प्रस्ताव की भनक लग गई तो उन्होंने मुख्यमंत्री निवास पर होने वाली बैठक का बहिष्कार किया और आलाकमान के खिलाफ बगावत करते हुए सामानान्तर बैठक की। इस बैठक में साफ साफ कहा गया था कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया जाने वाला है जो उन्हें कतई मंजूर नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चाहकर भी कुछ नहीं कर पाया गांधी परिवार
गांधी परिवार के दो कर्णधार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सचिन पायलट के पक्षधर हैं। वह हर बार सचिन पायलट का समर्थन करते हुए उन्हें आश्वासन देते रहे हैं कि उन्हें उचित समय पर उचित जिम्मेदारी दी जाएगी, लेकिन राहुल और प्रियंका के चाहने के बावजूद केन्द्रीय नेतृत्व ऐसा कोई निर्णय नहीं ले पाया जो सचिन पायलट के हित में हो। सितंबर 2022 में जब गहलोत गुट के अधिकतर विधायकों ने आलाकमान के खिलाफ बागावत की थी तो गहलोत गुट के राजेन्द्र सिंह गुढा और विधायक दिव्या मदेरणा ने अपनी ही पार्टी के विधायकों के खिलाफ खुलकर बयान दिए थे। उन्होंने साफ कहा कि अगर केन्द्रीय नेतृत्व किसी को राजस्थान की कामन सौंप रहे हैं तो किसी को हर्ज नहीं होना चाहिए। केन्द्रीय नेतृत्व का हर फैसला स्वागत योग्य है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हर कदम पर साथ रखा सचिन पायलट को
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने सचिन पायलट को विशेष अहमियत दी थी। पायलट कई राज्यों के विभिन्न शहरों में राहुल गांधी के साथ पैदल चले थे। राहुल गांधी ने सचिन पायलट पर कई बार पूरा भरोसा जताया था। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी भी सचिन पायलट के साथ यूपी में कई आन्दोलन कर चुकी हैं। वे हर कदम पर पायलट को साथ रखना चाहती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हिमाचल में भी दी गई थी जिम्मेदारी
हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चनावों में गांधी परिवार ने सचिन पायलट को प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी सौंपी थी। पायलट ने 40 से ज्यादा स्थानों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों के साथ जनसभाएं की और पार्टी की रीति नीति के बारे बताते हुए जनता से समर्थन मांगा था। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सत्ता पर काबिज होने में कामयाब रही लेकिन राजस्थान में सचिन पायलट को विशेष जिम्मेदारी नहीं दी जा सकी। ऐसे में सियासी गलियारों में ऐसी चर्चाएं चल रही है कि अशोक गहलोत के कामकाम पर सवाल उठाए हुए सचिन पायलट का अनशन कहीं राहुल और प्रियंका गांधी के इशारे पर तो नहीं हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नेताओं की प्रतिक्रिया
गहलोत सरकार ने बड़ी संख्या में योजनाओं को लागू किया- जयराम रमेश, महासचिव, कांग्रेस
पायलट को नेतृत्व से बात करनी चाहिए थी- सुखजिंदर रंधावा, प्रभारी, राजस्थान कांग्रेस
सचिन पायलट ने कोई लक्ष्मण रेखा पार नहीं की- टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़
पायलट के सवालों का सम्मान होना चाहिए- प्रताप खाचरियावास, कैबिनेट मंत्री, राजस्थान
पायलट सीएम बनने का ख्वाब देख रहे हैं-असदुद्दीन ओवैसी, अध्यक्ष, AIMIM
पायलट को अभी राहुल गांधी का साथ देना चाहिए- उदित राज, नेता, कांग्रेस (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पोस्टर में पार्टी विरोधी कुछ भी नहीं लिखा
इस सब के बीच जब पायलट पर कांग्रेस विरोधी होने के आरोप लगने शुरू हुए तो पायलट ने अपनी सफाई नहीं दी। इसके बाद 11 अप्रैल को धरना स्थल की तस्वीरें सामने आईं हैं। इनसे पायलट की तरफ से स्पष्ट करने का प्रयास किया गया कि अनशन वसुंधरा राजे सरकार में हुए भ्रष्टाचार के विरोध में है। पायलट गुट ने कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी और मामले की गंभीरता को समझते हुए अपनी सरकार के खिलाफ एक भी बात नहीं लिखी है। अनशन को पूरी तरह से वसुंधरा राजे पर केंद्रित किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

11 बजे से 5 बजे तक रहेगा मौन व्रत
सचिन पायलट के साथ कांग्रेस के बड़े नेताओं की बातचीत होने के संकेत हैं, जिसके बाद यह कदम उठाया गया है। चूंकि अनशन वसुंधरा राजे के विरुद्ध है, इसलिए पायलट द्वारा पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप को नकारने का प्रयास किया जा रहा है। पायलट आज 11 बजे से 5 बजे तक मौन व्रत रखने वाले हैं, इस दौरान वो कई जवाब देने से बच जाएंगे।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page