आरपी जोशी की कविता- खून जब बहा धर्म के नाम

खून जब बहा धर्म के नाम
कल पुलवामा आज पहलगाम, मचाया किसने ये कोहराम
मची है चहुंदिश चीख पुकार, खून जब बहा धर्म के नाम
हासिल हुआ तुम्हें क्या आखिर, हंसते खेलते घर बिखराकर
मेंहदी लगे हुए हाथों को, खून के रंगों में नहलाकर
बहुत ही नृशंस किया ये काम, खून जब बहा धर्म के नाम
अपनों की आंखों के आगे, ढेर लाशों के तुमने लगाए
नरसंहार किया ऐसा कि, आँखें सबकी पथरा जाए
गुस्से में है सारा हिंदुस्तान, खून जब बहा धर्म के नाम (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
खुशियां कल तक जिस घर छाई, आज मातम दे रहा सुनाई
कलेजे टुकड़े को चिपकाए, क्रंदन कर रहे मात, पिता और भाई
हर एक बहन रही धिक्कार, खून जब बहा धर्म के नाम
आक्रोशित है हर भारतवासी, खून रगो में ले रहा उबाल
हस्ती उनकी जड़ से मिटा दो, जिसने रची घिनौनी चाल
कवि का परिचय
आर पी जोशी “उत्तराखंडी”
अनुदेशक, राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान टांडी, नैनीताल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।