उत्तराखंड में भाजपा के पुराने दिग्गजों में बगावत, धामी की फोटो वायरल, शपथ से चुफाल ने किया किनारा, बन सकते हैं दो डिप्टी सीएम
आज शपथ लेंगे धामी
भाजपा विधानमंडल दल की बैठक में नेता चुने गए पुष्कर सिंह धामी आज यानी रविवार की शाम पांच बजे राजभवन में उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। इससे एक दिन पहले वह विधानमंडल दल की बैठक में दल नेता चुने गए थे।उनके नाम की घोषणा होने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने पत्रकारों से कहा था कि हम चुनौती को स्वीकार करते हैं। पुराने कार्यों को आगे बढ़ाएंगे। संगठन के कार्यों को भी आगे बढ़ाएंगे। भाजपा आलाकमान का धन्यवाद भी अदा किया। धामी उत्तराखंड के सबसे कम उम्र वाले मुख्यमंत्री होंगे। वह 45 साल की उम्र में सीएम बनने जा रहे हैं। फिलहाल उत्तराखंड में कम उम्र का सीएम बनने का रिकॉर्ड उनके नाम बनने जा रहा है। इससे पहले रमेश पोखरियाल निशंक 49 साल की उम्र में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने थे।
सीएम की दावेदारी वालों में ज्यादा नाराजगी
70 विधानसभा सीट वाले उत्तराखंड में 57 विधायक भाजपा के हैं। साढ़े चार साल में भाजपा ने तीसरा सीएम दिया है। धामी के साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य भी शपथ ग्रहण करेंगे। धामी के नाम की बतौर सीएम घोषणा के बाद सीएम का सपना संजोए भाजपा विधायक एकाएक नराज हो गए। जिन विधायकों का नाम संभावित सीएम के लिए उछल रहा था, उनमें तीरथ सरकार के मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने मदन कौशिक को फोन कर मना कर दिया कि वह कैबिनेट में शामिल नहीं होंगे। चुफाल को त्रिवेंद्र ने भी उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं किया था। वह तीरथ सरकार में मंत्री बने। पहले वह खंडूड़ी कैबिनेट में भी मंत्री रहे। भाजपा में चुफाल और पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के बीच छत्तीस का आंकड़ा माना जा रहा है। नए सीएम कोश्यारी के करीबियों में शुमार हैं।
ये भी हैं नाराज
वहीं, पूर्व कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत भी मंत्रिमंडल में शामिल होने से किनारा कर सकते हैं। ये दोनों ही नेता सीएम के दावेदार थे। वहीं, भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, यशपाल आर्य भी नाराज बताए जा रहे हैं। यहां अब लड़ाई अनुभव और अनुभवहीनता के बीच शुरू हो गई है। कारण ये है कि दो बार विधायक रहे धामी एक बार भी मंत्री नहीं बने।
हो सकते हैं दो उप मुख्यमंत्री
माना जा रहा है कि कुछ बगावती तेवर कम करने के लिए दो उप मुख्यमंत्री भी बनाए जा सकते हैं। इनमें एक के लिए सुबोध उनियाल का नाम बताया जा रहा है। वह तीरथ मंत्रिमंडल में शासकीय प्रवक्ता रहे हैं। दूसरे सीएम के लिए एक नेता के बेटे का नाम तय हो सकता है।
नेता चयन से पहले अमित शाह ने किए फोन
महत्वपूर्ण बात यह है कि नाराज विधायकों में कुछ पिछली तीरथ व त्रिवेंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं। साथ ही वे कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान वे भाजपा में आए हैं। साथ ही भाजपा पृष्ठभूमि के मंत्री रह चुके कुछ वरिष्ठ विधायक भी इनमें शामिल हैं। नेता चयन से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछली सरकारों में मंत्री रहे दो नेताओं को फोन भी किए।
बैठक के बाद तुरंत चले गए थे ये नेता
नए मुख्यमंत्री के लिए त्रिवेंद्र और तीरथ सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे सतपाल महाराज व डा हरक सिंह रावत के नाम भी चर्चा में थे। विधायक दल की बैठक खत्म होने के तुरंत बाद ये प्रदेश भाजपा कार्यालय से चले गए। इसे नेता चयन के मामले में नाराजगी से जोड़कर देखा गया। दरअसल, महाराज और हरक सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में कद्दावर माने जाते हैं। दोनों ही उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के पहले से राजनीति में हैं। सतपाल महाराज केंद्र में राज्य मंत्री रह चुके हैं, जबकि हरक सिंह रावत अविभाजित उत्तर प्रदेश में भी कैबिनेट मंत्री रहे हैं। वर्ष 2012 में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनने पर इन्हें खासे वजनदार मंत्रालय दिए गए थे।
अलग बैठक करके की गई चर्चा
चर्चा है कि कई विधायक भाजपा नेतृत्व के स्तर से स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ अन्य विधायकों को भी धामी के नेता चुने जाने का फैसला रास नहीं आया है। इंटरनेट मीडिया में शनिवार देर रात यह चर्चा काफी तेजी से चली कि कुछ विधायकों ने अलग बैठक भी की, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई। चर्चा इस बात की भी रही कि शपथ ग्रहण के दौरान ये लोग अपनी नाराजगी भी जाहिर कर सकते हैं। हालांकि भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि भाजपा एक अनुशासित पार्टी है और कहीं भी किसी प्रकार की नाराजगी का भाव नहीं है। सभी विधायक एकजुट हैं। युवा मुख्यमंत्री मिला है। सभी उनके नेतृत्व में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और भाजपा फिर से सरकार बनाएगी। उधर, रुठे विधायकों को मनाने का दौर भी दिन भर चलता रहा। पुष्कर सिंह धामी ने नाराज सतपाल महाराज के घर जाकर उनसे मुलाकात की।
नेतृत्व परिवर्तन का ये है घटनाक्रम
मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2022 में खत्म होगा। इस विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने में 9 महीने ही बचे हैं। वहीं, लोकसभा सदस्य तीरथ सिंह रावत ने दस मार्च को सीएम पद की शपथ ली थी। ऐसे में उन्हें शपथ लेने के छह माह के भीतर विधायक बनना जरूरी था। रामनगर में आयोजित भाजपा के तीन दिनी चिंतन शिविर में भाग लेकर मंगलवार शाम को पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत देहरादून पहुंचे थे। बुधवार 30 जून की सुबह वह दिल्ली के लिए रवाना हो गए। देर रात ही उनकी राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात करने की सूचना मिली। इसके साथ ही कई तरह की चर्चाओं ने तेजी से जोर पकड़ा। ये बुलावा भी अचानक आया। बताया गया कि पार्टी हाईकमान ने उन्हें दिल्ली तलब किया। इस बीच तीरथ सिंह रावत ने उसी रात राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। वह गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले।
इसके बाद शुक्रवार दो जुलाई को उत्तराखंड में उपचुनाव कराने को लेकर चुनाव आयोग को पत्र दिया। हालांकि चुनाव आयोग पहले ही कोविड काल में उपचुनाव कराने से मना कर चुका था। चुनाव आयोग को पत्र देने के बाद सूचना आई कि संवैधनिक संकट का हवाला देकर तीरथ ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस्तीफे की पेशकश की।
इसके बाद तीरथ सिंह रावत देहरादून पहुंचे और रात करीब नौ बजकर 50 मिनट पर उन्होंने सचिवालय में प्रेस कांफ्रेंस की और अपनी उपलब्धियां गिनाई। साथ ही सरकार के आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी। इसके बाद वह देर रात करीब 11 बजकर सात मिनट पर राजभवन पहुंचे और अपना इस्तीफा दिया। इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के कारण संवैधानिक संकट खड़ा हुआ। इसलिए मैने इस्तीफा देना उचित समझा। तीन जून को भाजपा विधानमंडल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी का नाम दल अध्यक्ष के रूप में तय किया गया। पर्यवेक्षक एवं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर एवं प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम बैठक के बाद उनके नाम की घोषणा की।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
यह पक्का शराबी है