फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से राहत, कहा-दुष्चक्र परेशान करने वाला, यूपी पुलिस पांच एफआइआर पर कार्रवाई न करने को कहा
फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को उसके खिलाफ पांच एफआइआर पर कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी एफआईआर की सामग्री एक जैसी लगती है. जिस क्षण उसे दिल्ली और सीतापुर में जमानत मिली। वह एक अन्य मामले में गिरफ्तार हो गया। यह दुष्चक्र परेशान करने वाला है। जुबैर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को नोटिस जारी किया है। साथ ही सॉलिसिटर जनरल को मामले में सहायता करने के लिए कहा है।
इससे पहले, छह एफआइआर रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई के दौरान जुबैर की ओर से पेश हुईं वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि जुबैर एक फैक्ट चेकर है। उसे 27 जून को गिरफ्तार किया गया था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने पहले सीतापुर एफआईआर से निपटा था। इस पर वृंदा ग्रोवर ने कहा कि अब पूरे यूपी में 6 एफआईआर हो गई हैं। इनमें से कुछ 2021 से पुराने हैं। कुछ में उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। उसके इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त कर लिए गए। जैसे ही एक मामले में संरक्षण मिला। दूसरे मामले में गिरफ्तार कर लिया। आज हाथरस में 14 दिन का पुलिस रिमांड मांगा जा रहा है।
यूपी सरकार के लिए एसजी (SG) तुषार मेहता ने कहा कि मुझे अभी तक याचिका देखने का मौका नहीं मिला है। सुनवाई आज न हो। उन्होंने कहा कि हाथरस कोर्ट का जज आज पुलिस रिमांड दे भी सकता है और नहीं भी। इस आदेश के बाद आप उसे रद्द कर सकते हैं। वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इस तरह की टारगेटिंग खत्म होनी चाहिए। यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। उन्होंने जुबैर की जानकारी के लिए नकद पुरस्कार की घोषणा की। जो लोग उसे गिरफ्तार कराने में मदद करेंगे, उनको इनाम की घोषणा हुई।
इस पर यूपी सरकार की ओर से कहा गया कि आप इन आधारों पर एफआइआर रद्द करने की मांग नहीं कर सकते। वृंदा ग्रोवर ने कहा कि ज़ुबैर पर हाथरस में दो, लखीमपुरखीरी में एक, सीतापुर में एक, गाजियाबाद में एक मामला दर्ज हुआ। सीतापुर मामले में सुप्रीम कोर्ट में प्रोटेक्शन दिया था। दिल्ली वाले मामले में भी जमानत मिल चुकी है। ज़ुबैर के खिलाफ IPC की धारा 298A और IT एक्ट की धारा 67 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें अधिकतम तीन साल की सज़ा का प्रावधान है। जांच का क्या औचित्य है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप यह बताइये आप आज क्या चाहती हैं? ग्रोवर ने कहा कि हाथरस मामले में जुबैर के खिलाफ शिकायतकर्ता दीपक शर्मा नाम के शख्स ने शिकायत दर्ज कराते हुए सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक बयानबाजी की। इस तरह की शिकायतें हैं, जिनके लिए पत्रकारों को दंडित किया जाएगा? 4 जुलाई को हाथरस की प्राथमिकी दर्ज की गई थी तब तक वो एक अन्य मामले में दिल्ली पुलिस की हिरासत में था। वृंदा ने कहा कि हाथरस मामले में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि जुबैर हिंदू देवताओं का मजाक उड़ा रहा है। जुबैर को जान से मारने की सीधी धमकी दी गई थी, लेकिन यूपी पुलिस ने उन ट्विटर हैंडल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। मैं उनके लिए अंतरिम जमानत की मांग कर रही हूं। जैसे सीतापुर मामले में SC ने दी थी।
इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मामले को आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया। एसजी यहां एक अन्य मामले में थे। इसलिए हम आगे बढ़ें, लेकिन हमें नोटिस जारी करना होगा। इस पर ग्रोवर ने कहा कि अंतरिम जमानत दी जाए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि क्या ये सभी एफआइआर एक ही मुद्दे पर हैं तो ग्रोवर ने कहा कि सभी एफआइआर में व्यापक आरोप हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।