पढ़िए युवा कवयित्री किरन पुरोहित की स्वतंत्र विधा की कविता-मां भवानी
लगे भवानी लाडली ,
गिरिनंदिनी राजकिशोरी ।
मै तो तुझे मनाऊं माता ,
सुन लो विनती मोरी ।।
अहो सलोना रूप तेरा मां ,
सोने जैसा चमके ।
हे ! गिरिजा सिंगार तुम्हारा ,
सूर्य कि भांति दमके ।।
तेरे गुण मैं गाऊं देवी ,
शिव मुख चंद्र चकोरी ।
मैं तो तुझे मनाऊं माता ,
सुन लो विनती मोरी ।।1।।
तेरे ही आशीष से होती ,
जीवन पथ पर सदा विजय ।
कैलाश स्वामिनी सुर -मुनि -जन ,
नित करते हैं तेरी जय जय ।।
शंभु भामिनी शिव भोले हैं ,
तू अति मन की भोरी ।
मैं तो तुझे मनाऊं माता ,
सुन लो विनती मोरी ।।2।।
——-किरन पुरोहित हिमपुत्री
लेखिका का परिचय —
नाम – किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
पिता – श्री दीपेंद्र पुरोहित
माता – श्रीमती दीपा पुरोहित
जन्म – 21 अप्रैल 2003
आयु – 17 वर्ष
अध्ययनरत – कक्षा 12वीं उत्तीर्ण
निवास, कर्णप्रयाग चमोली उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
शानदार उत्तराखंड की युवा साहित्य हस्ताक्षर किरन को शुभाशीष।