कविताः मलिन मास गया, मां भगवती का वास हुआ
मलिन मास गया,
कोरोना का काल गया।
नवरात्र के अवसर पर,
मां भगवती का वास हुआ।
शरद ऋतु का साथ मिला,
वान पैंय्या का फूल खिला।
आठ मास के बाद नवंबर !
बच्चों को नया सुकून मिला।
मलिन मास गया,
कोरोना अवकाश गया।
एक बार फिर धरती पर,
सावधानी का दौर चला।
मंदिर मस्जिद द्वार खुला,
देवों का भी श्रृंगार हुआ।
बेटी बहुओं को मायके से,
ससुराल का मार्ग मिला।
शादियों का दौर चला,
बाजार भी परवान चढ़ा।
कोरोना मलमास जाने से,
खुशियों का फिर दौर चला।
कवि का परिचय
नाम -सोम वारी लाल सकलानी ,निशांत।
मूल निवास – हवेली (सकलाना) टिहरी गढ़वाल।
निवास- सुमन कॉलोनी चंबा, टिहरी।
शिक्षा – एम ए (अंग्रेजी, हिंदी) बी एड
उपलब्धियां – विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लेख, कविताएं, समीक्षाएं, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित।
पुरस्कार – स्व बचन सिंह नेगी स्मृति सम्मान 2012
भूषण अवॉर्ड 2013
श्री देव सुमन साहित्य शिक्षा सम्मान 2016
हेंवलवनी सम्मान 2019
सचिव – उत्तराखंड शोध संस्थान ,चंबा टिहरी गढ़वाल इकाई।
सेवानिवृत्त प्रवक्ता ( प्रभारी प्रधानाचार्य) राइंका कांडीखाल, टिहरी गढ़वाल।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।