पढ़िए युवा कवयित्री गीता मैंदुली की कविता-गिरते गिरते मुझे बचाया
गिरते गिरते मुझे बचाया
हाथ पकड़कर मुझे चलना सिखाया ।
रात भर जागकर मुझे गोद में सुलाया
स्कूल से पहले मुझे बोलना सिखाया ।
मां आपने अपना ही नहीं
एक गुरू का भी फ़र्ज़ निभाया ।।
मुश्किलों का डटकर सामना करना सिखाया
कांटों वाली राह पर भी चलना सिखाया।
परिस्थितियां कैसी भी हो
हर हाल में मुस्कुराना सिखाया।
घर से स्कूल तक का रास्ता दिखाया
पापा कुछ इस कदर आपने अपना फ़र्ज़ निभाया।।
सिर्फ किताबी ज्ञान से ही नहीं बल्कि
मुझे सही गलत से भी अवगत कराया।
भले मुझे डांटा पर उसमें भी
आपने मेरा ही भला चाहा ।
चाहकर भी शब्दों में नहीं हो सकती
आपकी कीमत बयां, क्यूंकि
मां ~बाप ही नहीं आपका भी है
उतना ही दर्ज़ा महान ।।
कवयित्री का परिचय
नाम – गीता मैन्दुली
अध्ययनरत – विश्वविद्यालय गोपेश्वर चमोली
निवासी – विकासखंड घाट, जिला चमोली।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।