पढ़िए युवा कवि अशोक जोशी की कविता-कल्पना में तुम
कल्पना में तुम
फूल सी खिलती रहो तुम
मेरे मन के बाग में
ज्योति सी जलती रहो तुम
मेरे मन के भाव में
इक पहाड़ी बांद जैसी
चौदहवीं के चांद सी
इक सुनहरी शाम हो तुम
ताल की कोई मधुर झंकार हो
उन्माद हो तुम उद्गार हो तुम
मन के मेरे देहात में
फूल सी खिलती रहो तुम
मेरे मन के बाग में…
भर रहे है वह जख्म सारे
दिल के टूटे घाव के
ढक गया हूं तेरी
इन जुल्फों की प्यारी छांव में
एक अधूरी थी जो ख्वाइश
बस तुम्हारी
हो गई है वह भी पूरी
आज दिल के गांव में
कवि का परिचय
लेखक@ —-✍️अशोक जोशी*
पिता – श्री रमेश चंद्र जोशी
माता – श्रीमती उषा देवी
पता – नारायणबगड़ चमोली से
वर्तमान में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार में अध्ययनरत।





