पढ़िए जनकवि डॉ. अतुल शर्मा की कविता-यही कविता है भाई
यही कविता है भाई
कि एक संघर्ष के बाद भी
लगातार रहना है उनके साथ
कि जिनको है ज़रूरत
आज भी है और थी कल भी
तो हम उनके साथ थे तब
तो हम हैं उनके साथ अब भी
आज भी फूल रही है सांस
चढाई है कि उतनी ही है
नदी और जंगल के सवाल आज पूछ रही हैं
गुम आंखे
एक प्रश्न तब भी था
एक है आज भी
पर कमाल तो यह कि एक सी है उसके शब्द और अर्थ
इन्तजा़र मे है गीत
और खेत और लोग
क्या आयेगा कोई
कोई
कब?
हाँ यह कविता है
आज की
सूखे हुए आंसुओं की
कविता ।
बताओ है यह किसके नाम
कवि का परिचय
डॉ. अतुल शर्मा (जनकवि)
बंजारावाला देहरादून, उत्तराखंड
डॉ. अतुल शर्मा उत्तराखंड के जाने माने जनकवि एवं लेखक हैं। उनकी कई कविता संग्रह, उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। उनके जनगीत उत्तराखंड आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों की जुबां पर रहते थे।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।