पढ़िए युवा कवयित्री किरन पुरोहित की गढ़वाली कविता-भाषा उत्तराखंड की
भाषा उत्तराखंड की
भाषा उत्तराखंड की, मीठी अर मयाळी।
जी मा भरी रस्याण जू , घसेर्यूं जनि छुयाळी ।
धौळी गंगा की धुन मा सुरीली – सुर्याळी।
जै कुमौं-गढवाळ की, जै कुमौंनी गढवाळी ।।
संस्कृत बै उपजीं, डाळी कुमौंनी गढ़वाळी ।
राजुला की प्रीत छै, प्यारी कुमौंनी गढ़वाळी।।
तीलू रौतेली का ल्वे कू, उबाळ छैयी।
रामि बौराणी कू त्याग कुमौ – गढवाळी ।।1।।
भाषा उत्तराखंड———–
बदरी केदार की जैकार कुमौं गढवाळी ।
माधो सिंह भंडारी की हुंकार कुमौं गढवाळी ।
नंदा का मांगळों मा ममता कू भाव छैयी ।
जशीला नागिरजा की फुंकार कुमौं गढवाळी ।।2।।
भाषा उत्तराखंड की———-
ढ्वोल – दमौं भंकुरौं कु नाद कुमौं गढवाळी ।
बाजुबंद लगांदी क्वी बांद कुमौं गढवाळी ।
दादि की घुघुती-बसूती ,दादा को दुलार छैयी ।
म्येळों मा तांदि – झुमेलो गांद कुमौं गढवाळी ।।3।।
भाषा उत्तराखंड की——–
ना अपणी भाषा कु, अपमान करा भै – भुलों ।
अपणी दूधबोली कू, सम्मान करा भै -भुलों ।
हमरी भाषा रालि त राला, हम भी इतिहास मा ।
बग्त ऐगी अपणी भाषा बचावा भै भुलों ।।4।।
कवयित्री का परिचय
नाम – किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
पिता -दीपेंद्र पुरोहित
माता -दीपा पुरोहित
जन्म – 21 अप्रैल 2003
अध्ययनरत – हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर मे बीए प्रथम वर्ष की छात्रा।
निवास-कर्णप्रयाग चमोली उत्तराखंड।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।