उठाऊं चाप अंगुली से, इसे ब्रह्मांड में फेंकूं, बनाऊं इसके सौ टुकड़े…धूमधाम से संपन्न हुआ राम सीता विवाह
देहरादून में श्री आदर्श रामलीला सभा राजपुर के 72 वें श्री रामलीला महोत्सव के अवसर पर रविरार की रात राम सीता का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। रामलीला मंचन को देखने के लिए दूरदराज से लोग पहुंच रहे हैं।
रामलीला के तीसरे दिन भगवान शिवजी के शिष्य बाणासुर की ओर से रावण को समझाना बड़ा ही मार्मिक दृश्य था। रावण बाणासुर संवाद देखकर दर्शक भावविभोर हो गए। धनुष यज्ञ में अनेक राजाओं की शिव धनुष को तोड़ने का प्रयास किया गया, किंतु कोई भी धनुष नहीं हिला सका। इससे राजा जनक दुखी हो जाते हैं और दुख में ये बोल देते हैं कि क्या क्षत्रीय वंश का खात्मा हो गया। इस पर लक्ष्मण को क्रोध आ जाता है। वह यहां तक बोल देते हैं कि वह धनुष को चाप सहित उठाकर ब्रह्मांड में फेंक सकते हैं। जनक क्या समझकर के, बचन मुख से निलाले। राम छोटे भाई लक्ष्मण को समझाते हैं, तब वह शांत होते हैं।
वहीं गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से कुमार राम ने शिव का धनुष उठाकर भंग कर दिया। इससे श्री राम और सीता का विवाह संभावित था, किंतु की शिव धनुष भंजन की तेज आवाज सुनकर परशुराम क्रोध में भरकर जनकपुर चले आए। बारंबार राजा जनक से धनुष टूटने का कारण और धनुष भंग करने वाले का नाम जानना चाहा। ऐसी स्थिति में लक्ष्मण ने व्यंग्य बाण के माध्यम से चौपाइयों को सहारा लेते हुए धनुष तोड़ने का प्रसंग परशुराम को सुनाया और परशुराम को उनकी स्थिति का एहसास कराया।
किंतु परशुराम कहां मानने वाले थे। उनका मानना था कि इस शिव धनुष को बिना प्रभु के अवतार के कोई भी नहीं तोड़ सकता। तब उन्होंने उनको भगवान विष्णु का दिया दूसरा धनुष राम को चिल्ला चढ़ाने के लिए दिया। कुमार राम ने उस धनुष का चिल्ला तनिक ही देर में चढ़ा लिया और उसका निशाना भी परशुराम की ओर लगाया। परशुराम प्रभु राम से क्षमा मांगने लगे और कि कहने लगे कि अब मुझे विश्वास हो गया कि अब ईश्वर का अवतार हो गया है। प्रभु मुझे क्षमा कीजिए। इस प्रकार परशुराम और लक्ष्मण का प्रभावी संवाद समाप्त हुआ।
अयोध्या के कुमार राम और सीता का विवाह बड़ी धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। लीला में राम का अभिनय उपदेश, लक्ष्मण का अभिनय गणेश, सीता का अभिनय सर्वेस, जनक का अभिनय चरण सिंह, परशुराम का अभिनय बाबूलाल, दशरथ का अभिनय दिनेश रावत एडवोकेट ने किया। आयोजन में संरक्षक विजय कुमार जैन, जय भगवान साहू, प्रधान योगेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष नरेंद्र अग्रवाल, स्टोर कीपर वेद प्रकाश साहू, मंत्री अजय गोयल, प्रचार मंत्री प्रवीण जैन, ऑडिटर ब्रहम प्रकाश वेदवाल, उषा देवी, उप मंत्री अमर अग्रवाल आदि का भरपूर सहयोग रहा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।