निचली अदालत के फैसले के खिलाफ कर सूरत की सेशन अदालत में चुनौती देंगे राहुल गांधी, याचिका तैयार
कांग्रेस नेता राहुल गांधी सूरत कोर्ट की ओर से हाल में मानहानि केस में सुनाई गई सजा के फैसले के खिलाफ चुनौती देने वाली याचिका के लिए तैयार हैं। सूत्रों की जानकारी के मुताबिक कांग्रेस नेता राहुल गांधी कल सूरत की सेशन अदालत में सजा को चुनौती देंगे। अपील दायर करने के लिए राहुल गांधी कल सूरत कोर्ट भी जाएंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने अपनी याचिका में सत्र अदालत से मानहानि मामले में उन्हें दोषी ठहराने वाले मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने की मांग की है। उन्होंने मामले के निपटारे तक दोषसिद्धि पर अंतरिम रोक लगाने के लिए भी कहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राहुल गांधी को सजा सुनाते ही लोकसभा सचिवालय ने उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया। विपक्षी नेताओं ने “बुलेट ट्रेन” की गति से उन पर हुई कार्रवाई को लेकर सवाल उठाया। जब तक उच्च न्यायालय की ओर से राहुल गांधी की सजा को लेकर कोई निर्णय नहीं आता, तब तक चुनाव आयोग वायनाड लोकसभा सीट के लिए विशेष चुनाव की घोषणा नहीं करेगा। यदि राहुल गांधी की अपीलें खारिज हो जाती हैं तो उन्हें अगले आठ साल तक चुनाव लड़ने की भी अनुमति नहीं दी जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है राहुल के बयान का मामला
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2019 में दर्ज ‘मोदी सरनेम’ वाले आपराधिक मानहानि के मामले में गुजरात के सूरत की जिला कोर्ट ने कल 23 मार्च को दोषी करार दे दिया है। साथ ही उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई और हाथों हाथ बेल भी दे दी गई है। साथ ही उन्हें कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ 30 दिन की अपील का समय दिया गया है। राहुल गांधी ने कोर्ट में साफ कहा कि मैं माफी नहीं मांगूंगा। यह मामला राहुल गांधी की ओर से दिए गए ‘मोदी उपनाम’ संबंधी टिप्पणी से जुड़ा है। राहुल के खिलाफ यह मामला उनकी उस टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था-क्यों सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही होता है? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बीजेपी विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था। इस मामले में जब फैसला सुनाया गया, तब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सूरत जिला न्यायालय में मौजूद रहे। इससे पहले उन्होंने कहा था कि कोई उन्हें जो सजा देगी, वो उन्हें मंजूर होगी। उन्हें ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए 30 दिन की मोहलत देते हुए उनकी सजा को निलंबित किया था। अब लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्यता को रद्द कर दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राहुल के वकील का तर्क
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वकील ने तर्क दिया है कि अदालती कार्यवाही शुरू से ही “त्रुटिपूर्ण” थी और यह भी कहा कि विधायक पूर्णेश मोदी को मामले में शिकायतकर्ता नहीं होना चाहिए था, क्योंकि पीएम राहुल गांधी के भाषण का मुख्य लक्ष्य थे। अयोग्यता के कुछ दिनों बाद, राहुल गांधी को उनके आधिकारिक दिल्ली बंगले को खाली करने के लिए एक नोटिस दिया गया था, क्योंकि वे अब इसके हकदार नहीं थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बीजेपी ने बताया वैध
बीजेपी ने इस कदम को वैध बताया है। साथ ही सवाल किया है कि क्या राहुल गांधी खुद को कानून से ऊपर मानते हैं। सत्ताधारी दल के नेताओं ने राहुल गांधी की टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की है, उनकी टिप्पणी को पूरे ओबीसी समुदाय का जानबूझकर अपमान बताया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारी हंगामे के बीच कहा कि राहुल गांधी अकेले राजनेता नहीं हैं, जिन्हें अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद विधानमंडल की सदस्यता गंवानी पड़ी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दी थी ये सलाह
अमित शाह ने राहुल गांधी को सलाह भी दे डाली थी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को अपना केस लड़ने के लिए एक उच्च न्यायालय में जाना चाहिए। इसके बजाय, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोष देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राहुल ने अपनी सजा पर रोक लगाने की अपील नहीं की है। यह किस तरह का अहंकार है? आप विशेष विशेषाधिकार चाहते हैं? आप एक सांसद के रूप में बने रहना चाहते हैं और अदालत के समक्ष भी नहीं जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बिखरा विपक्ष हुआ एकजुट
राहुल गांधी की अयोग्यता ने बिखरे विपक्ष को एक साथ ला दिया है। इस मामले में विशेषज्ञों ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत एक आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की सजा, जिसके तहत राहुल गांधी को दोषी ठहराया गया था, ये अत्यंत दुर्लभ मामला है।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।