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March 21, 2025

महाशिवरात्रि पर्व पर जलाभिषेक के लिए मंदिरों मे लगी कतारें, इस बार ये है खास, सीएम धामी ने दी प्रदेशवासियों को बधाई

महाशिवरात्रि पर्व पर आधी रात के बाद से ही मंदिरों मे जलाभिषेक के लिए कतारें लगने लगी। देहरादून मे श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर, राजपुर रोड स्थित शिव मंदिर, ऋषिकेश में वीर भद्रेश्वर मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं मे उत्साह है। हर मंदिर की अपनी अपनी पौराणिक कहानी भी है साथ ही मान्यता भी है। टपकेश्वर मंदिर के आसपास तो हर साल शिवरात्रि के दिन मेला भी लगता है। महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आज 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर शुरू हो कगी है और इस तिथि का समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा। इसलिए इस साल यह पर्व आज 26 फरवरी 2025 को ही मनाया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सीएम धामी ने दी बधाई
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को महाशिवरात्रि के पावन पर्व की बधाई और शुभकामनाएं दी है। इस अवसर पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पावन पर्व शिव एवं शक्ति की आराधना का पर्व है। यह पर्व हमें प्रेम, एकता और आध्यात्मिक जागरण की प्रेरणा देता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पावन पर्व पर कामना की है कि भगवान शिव की असीम कृपा सभी प्रदेशवासियों पर हमेशा बनी रहे और प्रदेश उन्नति एवं खुशहाली के पथ पर हमेशा आगे बढता रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये है मान्यता
महाशिवरात्रि को ‘शिव की महान रात’ के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि का उपवास रखने की प्रथा काफी सालों से चली आ रही है। कुछ लोग इस व्रत के दौरान पूरा दिन अन्न और जल ग्रहण नहीं करते। वहीं कुछ भक्त फल, दूध और ड्राई फ्रूट्स का सेवन करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

महाशिवरात्रि पूजा समय
ज्योतिषियों की मानें तो महाशिवरात्रि पर पूजा का समय 26 फरवरी को शाम 06 बजकर 19 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 26 मिनट तक है। इसके बाद रात 09 बजकर 26 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 34 मिनट तक शिव-शक्ति की पूजा कर सकते हैं। इस समय में साधक देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा कर सकते हैं। इसके अलावा, साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर भी देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा कर सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

महाशिवरात्रि पारण समय
साधक 27 फरवरी को सुबह 06 बजकर 48 मिनट से लेकर 08 बजकर 54 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं। इस समय पूजा-पाठ के बाद अन्न दान कर व्रत खोलें।
इस बार बेहद खास है महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि इस बार बेहद खास मानी जा रही हैं. शिवरात्रि के दिन सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में स्थित रहेंगे। करीब 149 साल बाद इन तीनों ग्रहों की युति और महाशिवरात्रि का योग का संयोग बन रहा है। ग्रहों के दुर्लभ योग में शिव पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं। ऐसी मान्यता है। इस योग में की गई पूजा-पाठ से कुंडली से जुड़े ग्रह दोष भी शांत हो सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

महाशिवरात्रि पर ग्रहों का दुर्लभ संयोग
महाशिवरात्रि पर शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा, इसके साथ राहु भी रहेगा। ये एक शुभ योग है। इसके अलावा सूर्य-शनि कुंभ राशि में रहेंगे। सूर्य शनि के पिता हैं और कुंभ शनि की राशि है। ऐसे में सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में रहेंगे। शुक्र मीन राशि में अपने शिष्य राहु के साथ रहेगा। कुंभ राशि में पिता-पुत्र और मीन राशि में गुरु-शिष्य के योग में शिव पूजा की जाएगी। ऐसा योग 149 साल बाद है। 2025 से पहले 1873 में ऐसा योग बना था, उस दिन भी बुधवार को शिवरात्रि मनाई गई थी। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की महाशिवरात्रि 26 फरवरी, धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सूर्य, बुध और शनि योग
महाशिवरात्रि पर सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में स्थित रहेंगे। इन तीनों ग्रहों की युति और महाशिवरात्रि का योग 2025 से पहले 1965 में बना था। सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेंगे। यह एक विशिष्ट संयोग है, जो लगभग एक शताब्दी में एक बार बनता है, जब अन्य ग्रह और नक्षत्र इस प्रकार के योग में विद्यमान होते हैं। इस प्रबल योग में की गई साधना आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति प्रदान करती है। पराक्रम और प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए सूर्य-बुध के केंद्र त्रिकोण योग का बड़ा लाभ मिलता है। इस योग में विशेष प्रकार से साधना और उपासना की जानी चाहिए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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