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November 16, 2024

कोरोना मरीजों से निजी अस्पतालों की ओर से वसूले गए अध्यधिक बिल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से मांगा जवाब

कोरोना मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों की ओर से वसूले गए अत्यधिक बिलों की प्रतिपूर्ति के लिये देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा।

पिछले दिनों पूरे भारत मे कोरोना महामारी ने अपने पैर पसार रखे थे। इससे कोई भी अछूता नहीं रहा है। भले ही कोरोना का कहर अब कम हो गया हो, किन्तु पूरे देश में इसने अपने चरम पर दोनों-लहरों में त्राहिमाम मचाया और लाखों लोगों जा जीवन बर्बाद कर दिया। अबतक भारत मे 3.42 करोड़ लोगों को कोरोनो हुआ, जोकि पूरे विश्व मे चिंताजनक पहले स्थान पर है। कोरोना से लोगो को जान-माल हानि के साथ-साथ आर्थिक मार भी झेलनी पड़ी है। भारत के मध्यम- वर्ग और निचले वर्ग के 90 फीसद प्रतिशत आबादी के कई लोगों की नौकरियां, व्यापार पर खतरा मंडराया।  तब भी उन्होंने अपने परिवार वालो को बचाने के लिये प्राइवेट हस्पतालों में अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया।
कोरोनकाल में केंद्र सरकार द्वारा जून 2020 में प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए चार्ज सुनिश्चित किया गया था। फिर भी कई राज्यो के मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गये। इन सबके दृष्टिगत देश में कोरोना मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों की ओर से वसूले गए अत्यधिक बिलों की प्रतिपूर्ति, आमजन को प्राइवेट अस्पतालों से पैसे वापसी के लिये देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली में सुनवाई चल रही है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा।
उल्लेखनीय है कि गाइडलाइंस में कोरोना मरीजों के लिए प्राइवेट हस्पतालों में यह चार्ज प्रतिदिन का निर्धारित था। ऑक्सिजन बेड 8 से10 हजार रुपये, आईसीयू 13 से 15 हजार रुपये, वेंटिलेटर बेड 18 हजार रुपये (इसमे PPE किट, दवाइयां, बेड, जाँच इत्यादि सब खर्चे शामिल थे)। फिर भी कई राज्यो के मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गये। सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों वाली संयुक्त पीठ ने जनहित याचिका का संजान लिया व केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए।
जनहित याचिका के अधिवक्ता दीपक कुमार शर्मा ने बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के नयायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ व न्यायाधीश बोपन्ना की संयुक्त पीठ ने इस याचिका के अत्याधिक बिल चार्ज के विषय मे गंभीर चिंता व्यक्त की। साथ ही प्राइवेट हॉस्पिटल के अत्याधिक बिल चार्ज करने की अनियमिताओं, मरीजों को रिफंड जारी करने व पूरे देश के लिये सुनिश्चित गाइडलाइंस जारी करने विषय मे स्वास्थ्य मंत्रालय, केंद्र सरकार के साथ-साथ अब सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवम्बर को सभी राज्यों को भी 4 सप्ताह में जवाब तलब करने का आदेश कर दिया है।
आपको अवगत करा दे कि इस विषय पर अभिनव थापर व उनके साथियों द्वारा एक अभियान- लड़ाई अभी बाकी है – हिसाब अभी बाकी है। भी चलाया जा रहा है। इसके तहत लोगों को जागरूक कर उनसे अस्पतालों में दिए गए अत्यधिक राशि के बिल एकत्रित किए जा रहे हैं। उनके बिल प्रतिपूर्ति का विषय माननीय सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जाएगा।
कोरोना बिल एकत्रित अभियान की हेल्पलाइन
सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने बताया कि उत्तराखंड के सभी कोरोना पीड़ितों के लिये हेल्पलाइन नम्बर व ईमेल जारी किया है। इस पर कोई भी निवासी अपने या अपने दोस्त/रिश्तेदारों/जानकारों के private हॉस्पिटल, दवाई के बिल, कोरोना की रिपोर्ट व डिस्चार्ज summary – whatsapp या ईमेल कर सकते हैं। ताकि सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई को और मजबूती से लड़ा जा सके।
व्हाट्सएप नम्बर – 9870807913
ईमेल id- abhinavthaparuk@gmail.com

 

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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