राजनीतिः खेल पुरस्कार का बदला नाम, मोदी स्टेडियम का भी बदलें, उत्तराखंड में सरकारी उपेक्षा, टूटा इस धावक का सपना
भाषण और हकीकत। अभी इन दोनों में फर्क है। खेलों के नाम पर बड़ी बड़ी घोषणाएं होती हैं। अमल करने के दौरान धरातल में नहीं उतरती। यही कारण है कि हमारे खिलाड़ी बड़े इवेंट में पिछड़ जाते हैं। हॉकी जैसे टीम इवेंट में ओलंपिक में यदि इस बार प्रदर्शन बेहतर हुआ तो उसका श्रेय सही जानकारी रखने वाले ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को दे रहे हैं। क्योंकि, जब भारतीय हॉकी टीम को प्रायोजक नहीं मिले तो मदद के लिए ओडिशा सरकार ही हॉकी की मदद में उतरी। ओडिशा में वर्ष 2018 से लगातार हॉकी को बढ़ावा दिया जा रहा है। नतीजा टीम में निखार हो रहा है। टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य जीता और महिला हॉकी टीम ओलंपिक के इतिहास में पहली बार सेमीफाइनल और कांस्य पदक के लिए भिड़ी।
शुरू हुआ बधाई का सिलसिला, इनामों की घोषणा
अब हॉकी के बेहतर प्रदर्शन के बाद टीम को बधाई देने में होड़ मची है। साथ ही खिलाड़ियों को इनाम देने की घोषणाएं राज्य सरकारों की तरफ से करने का सिलसिला भी शुरू हो गया। हरएक खिलाड़ी के प्रदर्शन को बधाई दे रहा है। फिर सबने हॉकी में ही अपना ध्यान फोकस कर दिया। उसी के अनुरूप घोषणाएं हो रही हैं। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया को 25 लाख रुपये देने की घोषणा की। ये अच्छी बात है कि खिलाड़ी को बेहतर प्रदर्शन का ईनाम मिलना चाहिए। दूसरी ओर एक काला पक्ष ये है कि खिलाड़ियों को सुविधा तक नहीं मिल पाती। उहाहरण के तौर पर हम बताने जा रहे हैं कि उत्तराखंड में एक महिला एथलिट का ओलंपिक में जाने का सपना इसलिए टूट गया कि उसे सिंथेटिक ट्रैक पर प्रैक्टिस की अनुमति नहीं दी गई।
खेतों में की दौड़ की तैयारी, मिला रजत, टूटा सपना
जूनियर नेशनल में नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन करने वालीं उत्तराखंड की धावक अंकिता ने ध्यानी सड़क और खेतों में दौड़कर ओलंपिक क्वालिफाइंग की तैयारी की, लेकिन उनका सपना टूट गया। मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल निवासी अंकिता ने स्पोर्ट्स कॉलेज में प्रैक्टिस की अनुमति मांगी, लेकिन नहीं मिली। राज्य एथलेटिक्स संघ ने अंकिता को देहरादून के रायपुर स्पोर्ट्स कॉलेज में प्रैक्टिस के लिए सिंथेटिक ट्रैक पर अनुमति देने के लिए मंत्री से लेकर अधिकारियों तक से गुहार लगाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उसी उत्तराखंड की बेटी अंकिता ने 60वीं नेशनल इंटर स्टेट सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 5000 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीत कर उत्तराखंड का नाम रोशन किया। हालांकि वह 1500 मीटर के इवेंट में पिछड़ गईं। 25 जून से 29 जून तक एनआईएस पटियाला में आयोजित हुई थी।
खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलने की घोषणा
अब सवाल उठता है कि हम खेलों को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं या फिर खेल को लेकर राजनीति हो रही है। भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम के प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार ‘खेल रत्न’ को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का नाम देने क ऐलान किया है। पीएम ने एक ट्वीट करके यह जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि-मेजर ध्यानचंद भारत के उन अग्रणी खिलाड़ियों में से थे जिन्होंने भारत के लिए सम्मान और गौरव लाया। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है। गौरतलब है के खेल रत्न पुरस्कार पहले ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ के नाम से जाना जाता था।
सोशल मीडिया पर लोगों ने बताया सही, स्टेडियम का भी बदलें नाम
सोशल मीडिया पर लोगों ने पीएम मोदी के इस निर्णय का यह कहते हुए समर्थन किया है कि स्पोर्ट्स अवार्ड राजनेताओं के नाम पर नहीं, बल्कि खिलाड़ियों के नाम पर ही होने चाहिए। हालांकि वे इस ओर इशारा करने से नहीं चूके कि अहमदाबाद के क्रिकेट स्टेडियम का नामकरण पीएम मोदी पर किया गया है। विपक्ष के नेताओं सहित कई यूजर्स ने मांग की कि अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नामकरण भी किसी खेल शख्सियत पर किया जाए।
स्टेडियम का बदला था नाम, अब उठी ये मांग
गौरतलब है कि फरवरी 2020 में अहमदाबाद के सरदार पटेल स्टेडिययम को मोटेरा स्टेडियम के नाम से भी जाना जाता है। इसकानामकरण पीएम मोदी पर किया गया था। मोदी गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। नरेंद्र मोदी स्टेडियम को दुनिया के सबसे विशाल क्रिेकेट स्टेडियम होने का रुतबा हासिल है। खेल रत्न अवार्ड के नए नामकरण का स्वागत करते हुए क्रिकेटर इरफान पठान ने कहा कि- उम्मीद है भविष्य में खेल स्टेडियमों के नाम प्लेयर्स पर भी रखे जाएंगे।
नेताओं की जगह खिलाड़ियों के नाम की पैरवी
यूट्यूबर ध्रुव राठी ने लिखा कि- मोदी सरकार की ओर से राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड का नामकरण मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड करने का महान फैसला। अब मैं उम्मीद करता हूं कि वे नरेंद्र मोदी स्टेडियम और अरुण जेटली स्टेडियम को भी नया नाम देंगे। सभी राजनेताओं के नाम हटाए जाएंगे। गौरतलब है कि दिल्ली के फिरोज शाह कोटला का नामकरण पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पर किया गया है जो दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं। कुछ अन्य यूजर्स के भी इस मामले में ट्वीट सामने आए हैं।
एसएस बाघेला ने किया ट्विट
गुजरात के नेता शंकर सिंह बाघेला ने ट्वीट किया कि- नरेंद्र मोदी सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड का नामकरण मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड कर दिया है। मैं उनसे अनुरोध करना चाहिए कि नरेंद्र मोदी स्टेडियम को भी वापस सरदार पटेल स्टेडियम कर दें।
ये है खेल बजट की स्थिति
संसद में पेश किये गये आम बजट में केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए खेलों के बजट में कटौती की है। इस बजट में खेल के लिए कुल 2,596.14 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। जो पिछले साल के बजट से 230.78 करोड़ रुपए कम है। हालांकि खेल प्राधिकरण (साई) को 660.41 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित किया गया है जो पिछले साल 500 करोड़ रुपए ही था। खेल मंत्रालय के प्रमुख आयोजन खेलो इंडिया के बजट में भी कटौती की गई है। इस बार 657.71 करोड़ रुपए का ही आवंटन किया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में इस आयोजन के लिए 890.42 करोड़ रुपए देने की घोषणा हुई थी। खेल के लिए आवंटित कुल बजट की बात करें तो यह पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से 795.99 करोड़ रुपए अधिक है। वर्ष 2020-21 में खेल के लिए पहले 2826.92 करोड़ रुपए देने की घोषणा हुई थी जिसे बाद में घटाकर 1800.15 करोड़ कर दिया गया था।