युवा कवि विनय अन्थवाल की कविता-मनोभाव
मनोभाव
सोचता हूँ मैं भी अक्सर
कुछ ऐसा अब कर जाऊँ ।
ऋषयों की भाँति मैं भी
परमतत्व को जान जाऊँ।
सद्ज्ञान और पावनता से
जीवन विमल कर जाऊँ।
मलिन मन को ज्ञान जल से
धोकर स्वच्छ बना पाऊँ।
मर्यादा का कवच पहनकर
पुरुषोत्तम मैं बन जाऊँ।
सच्चाई के पथ पर चलकर
जीवन सफल बना पाऊँ।
असत् के इस काले युग में
सत् की मशाल जला जाऊँ।
घोर तिमिर के प्रांगण में
ज्ञान दीप जला जाऊँ।
कवि का परिचय
नाम -विनय अन्थवाल
शिक्षा -आचार्य (M.A)संस्कृत, B.ed
व्यवसाय-अध्यापन
मूल निवास-ग्राम-चन्दी (चारीधार) पोस्ट-बरसीर जखोली, जिला रुद्रप्रयाग उत्तराखंड।
वर्तमान पता-शिमला बाईपास रोड़ रतनपुर (जागृति विहार) नयागाँव देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।