बाल दिवस पर युवा कवि विनय अंथवाल की कविता-चैतन्य सुमन
चैतन्य सुमनहम बच्चे हैं मन के सच्चे
धरती के हैं फूल सुनहरे।
घर की रौनक़ हम बच्चे हैं
मस्ती में झूमें रहते हैं।
आने वाला कल हम सब हैं
मीठा पकने वाला फल हैं।
इस उपवन के हम सुमन हैं
भविष्य के स्वर्णिम पल हैं।
उन्मुक्त जीवन हमें सिखा दो
सन्मार्ग की राह दिखा दो।
मानव मूल्य हमें सिखा दो
विमल प्रेम का पाठ पढ़ा दो।
प्रेम से रहना हम सब सीखें
नहीं किसी का हक हम छीने
राग-द्वेष और वैर भाव से
मन को विमल करना सीखें।
माँ मेदिनी का सुन्दर आँगन
परमपिता का प्रेम पावन।
हो मानव जीवन की मर्यादा
हम बच्चों का यही इरादा।
कवि का परिचय
नाम -विनय अन्थवाल
शिक्षा -आचार्य (M.A)संस्कृत, B.ed
व्यवसाय-अध्यापन
मूल निवास-ग्राम-चन्दी (चारीधार) पोस्ट-बरसीर जखोली, जिला रुद्रप्रयाग उत्तराखंड।
वर्तमान पता-शिमला बाईपास रोड़ रतनपुर (जागृति विहार) नयागाँव देहरादून, उत्तराखंड।





