युवा कवि विनय अन्थवाल की कविता- भारतीय सेना
इस धरा की शान है।
प्रवीर सब सेनानी हैं,
वसुन्धरा की आन हैं।
साहसी पराक्रमी
कर्मनिष्ठ हैं सभी
माँ भारती दुलारती
स्नेह से निहारती।
भारतीय फ़ौज का,
दुर्जनों में खौफ है।
प्रचण्ड अग्नि सा यहाँ
आँख में भी क्रोध है।
सेनानी शूरवीर हैं,
शौर्य में प्रवीर हैं।
शत्रु के ये काल हैं,
रणचण्डी के ये लाल हैं।
प्रचण्ड फ़ौज है यही
विकट वाहिनी यही।
अजेय है अभेद्य है,
है यही निर्भीक भी।
सामर्थ्य जग में बढ़ रहा
वर्चस्व नित निखर रहा।
अरिदल भी थर्रा रहा,
संत्रस्त अब तो दिख रहा।
माँ भारती है वीरसू
सेना इसकी आबरु
अखिल जहाँ ये देख ले
सेना इसकी आरजू।
माँ भारती का भाल भी
भव्य भव्य हो रहा
निसर्ग में है सज रहा
स्वर्ग सा है दिख रहा।
कवि का परिचय
नाम -विनय अन्थवाल
शिक्षा -आचार्य (M.A)संस्कृत, B.ed
व्यवसाय-अध्यापन
मूल निवास-ग्राम-चन्दी (चारीधार) पोस्ट-बरसीर जखोली, जिला रुद्रप्रयाग उत्तराखंड।
वर्तमान पता-शिमला बाईपास रोड़ रतनपुर (जागृति विहार) नयागाँव देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।