युवा कवि सुरेन्द्र प्रजापति की कविता- उसका शिखर से गिरना पसंद है

थके हुए शरीर और संकल्पवान उम्मीद के साथ
बंजर और दरकती धरती पर उसने
खुद को रोपा है
कोई नमी या बादल की आद्रता भी
काश, संभावनाओं को उगा पाता
टकटकी लगाए आँखों में भी
स्वप्न की किरणें बिखरती है
बिबाई फ़टे पैरों में भी
आशा की हरियाली दमकती कि
गंतव्य को पानी का ठहराव नहीं
उसका शिखर से गिरना पसंद है
कितना पसंद है हिरणों को कुलांचे मारना
आनंदित करता है नाचता हुआ मोर
असम्भव सा दिखने वाला प्रश्न
चुटकी में हल हो जाए
और मरू प्रदेश के पौधों के
सुमनों पर भवंरा गाए
बच्छर बाद की यह खुशियाली
कितना नैसर्गिक है,
इसमें कितनी ताजगी
कितने सपने बिखरा हैं
तब किसी शब्द से कविता निखरा है
बर्षों बाद सहमी हुई, रुग्ण आँखों में चमक
और फ़टे होंठो पर मुस्कान से
शायद स्वर्ग की सुंदरता फीकी है
और किलकती खुशी, बुझी राख के बीच
पीसता हुआ जीवन
कभी उजाले की आहट में
मुस्कूरा पड़ता है।
कवि का परिचय
नाम-सुरेन्द्र प्रजापति
पता -गाँव असनी, पोस्ट-बलिया, थाना-गुरारू
तहसील टेकारी, जिला गया, बिहार।
मोबाइल न. 6261821603, 9006248245

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।