युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-नया साल नई आशाएं नया पैग़ाम

नया साल
नया साल नई आशाएं नया पैग़ाम..
उम्मीद-ए लुत्फ़ लेकर आए।
सैलाब-ए हवादिस कम नही हुए..
साल-ए शुरुआत से साल-ए तमाम तक।
गुजारिश है कि साल-ए आइंदा अमन लेकर आए।
कोई महामारी, भुखमरी, जर्द से न मरे..
सबके घर चूल्हा जल पाए।
सबके लिए उम्मीद-ए खैर की जाए।
कुछ ख्वाब जो टूटे है, कुछ अपने है जो रूठे है..
ख्वाबों को जोड़कर, रूठे हुए को मनाकर
नए साल में नए सिरे से गुल-ए आरजू की जाए।
मगर काबिल-ए यकीन हर सख्स नही यहाँ..
अब हर किसी पर सोच समझकर ऐतबार किया जाए।
बीती बातो को भूल कर जो रूठे हैं वो मान जाए।
नफरतों की सिलसिले मिट जाए, प्रेम के गुल खिल जाए।
नया साल सबकी ज़िन्दगी मे खुशियों की सौगातें लेकर आए।
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (तृतीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।