युवा कवयित्री अंजली चन्द की कविता- आखिर है क्या ये जीत और हार

आखिर है क्या ये जीत और हार
मन की हो तो जीत ना तो हार,
या इकरार को जीत कह देते हो और इंकार को हार,
या जिंदगी की चलती सांसे जीत और थम जाये तो कहते हो हार,
या पाना किसी मंजिल का नाम है जीत और ना पाना हार,
या वो हंसी है जीत और उदासी को कहते हो हार,
या उसका थामे रहना शब्दों को है जीत और बेबाक बोल जाना हार,
या किसी का बेवजह साथ रहना जीत
और किसी वजह से साथ छोड़ दिया को कहते हो हार,
या किसी को झुका देना जीत और झुक जाना हार,
या किसी का हमसे पीछे रहना हमारी जीत
और आगे निकल जाना है हमारी हार,
देखे और परखें तो जो जीत गया हार से उसकी जीत,
और जो हारा अपनी हार से उसकी हार
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चन्द
निवासी – बिरिया मझौला, खटीमा, जिला उधम सिंह नगर, उत्तराखंड।
लेखिका uksssc /ukpsc की तैयारी कर रही हैं।





