शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता- आखिर ये वक्त बीत ही गया

आखिर ये वक्त बीत ही गया
कोई खो गया कोई सो गया,
कोई मिल गया, कोई रो गया।
कोई जीत गया कोई हार गया,
आखिर ये वक्त बीत ही गया।।
कोई खुश हो गया,
कोई दुखी हो गया।
किसी को प्यार मिला,
किसी को नाराजगी।
आखिर ये वक्त बीत ही गया।।
किसी को साथ मिला,
किसी का साथ छूटा,
कोई नाराज हो गया
कोई खुश हो गया।
आखिर ये वक्त बीत ही गया।।
किसी को सफलता मिली,
किसी को असफलता।
कोई ऊंची उड़ान भर गया,
कोई नाकामियों के समंदर में गिरा।
आखिर ये वक्त बीत ही गया।।
बस दुआ यही रब से,
सबको खुशियों कि सौगात मिले।
मधुर संगीत जीवन में बहे,
फिर कभी न बुरे पल जीवन में दिखें।
आखिर ये वक्त बीत ही गया।।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।





