शिक्षिका एवं कवयित्री डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-मित्रता
मित्रता
सारे रिश्ते नाते प्यारे
पर स्वार्थ के आगे हारे
एक सुहाना प्यारा रिश्ता
जो खुद से हमने ही जोड़ा
स्वार्थ हीन दुख सुख का साथी ।
उम्र की सीमा है न उस में
न रिश्ते नातों का बन्धन
प्रेम की डोर से बंधे हुए हम
केवल मिलने से दूर हुए गम
इसमें परवाह बहुत अधिक है
पर झूठी उम्मीदें बिलकुल कम ।
प्यार से प्यारा सबसे न्यारा
भेद दिलों के खोले सारा
कृष्ण सुदामा के चरण पखारे
अंसुवन के जल से ही खारे
राजकाज की सुध बुध खोकर
सारे भेद भुला ही डाले।
ना कोई राजा ना कोई रंक है
रंग लहू का है एक रंग ।
जिसके पास मित्र है प्यारा
जिसने उस पर तन-मन वारा
उससे जग में हर कोई हारा।।
कवयित्री का परिचय
डॉ. पुष्पा खण्डूरी
एसोसिएट प्रो. एवं विभागाध्यक्ष
डीएवी (पीजी ) कालेज देहरादून, उत्तराखंड। (लेखिका देहरादून में डीएवी छात्रसंघ के पूर्व लोकप्रिय अध्यक्ष एवं भाजपा नेता विवेकानंद खंण्डूरी की धर्म पत्नी हैं। कविता और साहित्य लेखन उनकी रुचि है)