Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 23, 2024

शिक्षिका हेमलता बहुगुणा की कविता-चांद और चांदनी

शिक्षिका हेमलता बहुगुणा की कविता-चांद और चांदनी।

चांद और चांदनी

एक दिन चांद ने
चांदनी से आकर कहा
तुम इतनी सुन्दर क्यों हो
मुझको आकर तो बतला ।
तब चांदनी चांद से बोली
मेरी बातों पर ध्यान लगा
मैं किसी से ईर्ष्या नहीं करती
ईर्ष्या को मन से दूर भगा।
अपने से बढ़कर ही
सबको मैं समझती
इसलिए तो मेरे चेहरे पर
कोई सिकंज नहीं रहती।
नहीं किसी प्रकार का
कोई दाग दिखाई देता है
स्वच्छ पहनावा स्वच्छखाना ही
मेरा रूप निखारता है।
चांद अपने दाग के बारे में
अब सोचने लगता है
हट जायेगा यह दाग भी
‌ ‌ जो मेरे चेहरे पर दिखता है।
इस तरह चांद भी अब
अच्छाई मन में भर लेता है
और पूर्णिमा के दिन को
साफ चमकने है लगता।

कवयित्री का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page