कवि श्याम लाल भारती की कविता-वक्त क्या क्या सिखा देता है
अरे वक्त तुम,
क्या क्या सिखा देते हो।
कभी हसातें तो,
कभी रुला ही देते हो।।
वाह क्या गजब,
तेरा यहां आना जाना।
कभी सुख तो कभी दुःख,
हमें दिखा ही देते हो।।
नहीं समझ पाए,
हम तुम्हें ए वक्त।
कभी अपनों को सगा,
तो कभी पराया बना ही देते हो।।
पर मानना पड़ेगा,
वक्त तेरा कारनामा।
सुख हो या दुःख में,
जीना सिखा ही देते हो।।
बड़ा करामाती है,तू ए वक्त।
अभिमान नफरत घमंड,
करना सिखा ही देते हो।
जो न त्यागे इन्हे कोई,
तो नीचे गिरा ही लेते हो।।
कभी भाई चारा कभी दुश्मनी,
अपनों से करा ही लेते हो।
पर नहीं समझता,इंसान ये बातें,
तुम कभी कभी,
इंसान को आजमा ही लेते हो।
अच्छे थे या बुरे,
तुम जिंदगी से गुजर ही जाते हो।
जाते जाते बस इतना जान गया,
कभी सुख तो कभी दुःख,
तुम दिखा ही देते हो।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।