कवि श्याम लाल भारती की कविता-प्रेम का बीज बोकर तो देखो
प्रेम का बीज बोकर तो देखो
इस बंजर माटी में ए मानव तुम,
प्रेम का बीज बोकर तो देखो।
चारों ओर खुशियां ही खुशियां होंगी,
मन में जरा यह ठानकर तो देखो।।
नफरत से क्या मिला आज तक किसी को,
मधुरता की एक लहर बहाकर तो देखो।
फूलों से तो सभी करें प्यार मगर,
कांटों को भी कभी गले लगाकर देखो।।
कमियां बहुत हैं तुझमें ए मानव,
दूसरों के दिल में झांककर तो देखो।
घड़ियां जीवन की अनमोल यूं न गवां,
सच्चाई जीवन की तुम जानकर तो देखो।।
पल पल नेकी कर इस जहान में,
दूसरों के लिए भी तो जीकर देखो।
क्या पता कब सासें थम जाएं,
नफरत छोड़ प्रेम का बीज बोकर देखो।।
क्या क्या नहीं मिटा देती नफरतें,
नफरत को एक बार हटाकर तो देखो।
नफरतें कर देती मुल्कों का खात्मा,
जीवन में खुशियों के दीप जलाकर तो देखो।।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।