Recent Posts

Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Recent Posts

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 14, 2025

कवि श्याम लाल भारती की कविता-जरा संभल इंसान

श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं।

जरा संभल इंसान

जरा संभल कर रह इंसान यहां,
प्रकृति पर तेरा एहसान होगा।
मत कर प्रकृति से छेड़छाड़ अब,
वरना तेरा यहां नामोनिशान न होगा।।

धरा तेरी सम्पत्ति नहीं इंसान,
कुछ पलों का तू मेहमान होगा।
प्रकृति से प्रेम कर हृदय से,
धरा पर तेरा ये एहसान होगा।।

मत बन इसकी बर्बादी का कारण,
तू ही इसके लिए बदनाम होगा।
धरा गगन फिर खिल उठेंगे,
चारों ओर ऐसा वरदान होगा।।

ऐसा न हो तुझे फिर खुद पर,
बहुत बड़ा अभिमान होगा।
ऐसा बन जा अब इंसान यहां,
प्रकृति को तुझ पर स्वाभिमान होगा।।

पर प्रकृति जानती है तेरा स्वभाव,
भूल करने में तू फिर महान होगा।
तेरी भूल के कारण फिर से जहां,
शायद फिर से ये शमशान होगा।।

संभल जा खुद औरों को भी समझा,
प्रकृति पर तेरा बड़ा एहसान होगा।
बदलाव तो जरूरी खुद में इंसान,
तभी ये सुंदर जहान होगा।।

क्या क्या नहीं देती प्रकृति हमें,
उसका हमें एहसान मानना होगा।
अगले बरस अच्छे दिन आयेंगे,
प्रकृति का यही हमें वरदान होगा।

कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *