युवा कवि सुरेन्द्र प्रजापति की कविता-प्रणय स्वप्न
प्रणय स्वप्न
कमल-नयन का सुख-स्वप्न
पुष्प छू लिया, अन्तर्मन,
हर सुरों में गंध बसा है
पुलकिल होंठ अपावन।
जीवन का सौंदर्य दहककर
तन-मन का प्रणय, चहककर
सार जगत का प्रमुदित हो
आता मग्न सरस नभ से स्वर
प्रिय! ए मंगल दीप, आरती
पुष्प का निर्मल विस्तार,
चम्पा के हारों में गूंथकर
चंचल गीतों का जय-जयकार।
ले आओ, माधवी आमंत्रण
पत्र, वेणी का, पल्लव का
मुस्कान मोदकों से भरे हुए
स्वर्णिम गीतों के कलरव का।
कवि का परिचय
नाम-सुरेन्द्र प्रजापति
पता -गाँव असनी, पोस्ट-बलिया, थाना-गुरारू
तहसील टेकारी, जिला गया, बिहार।
मोबाइल न. 6261821603, 9006248245
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
सुंदर??