युवा कवि सुरेन्द्र प्रजापति की कविता-आँसू और मुस्कान
आँसू और मुस्कान
जब-जब आँखों में आँसू
दिल मचल-मचल छलकती है
पीड़ा का क्रंदन होता है
अंतर में टिस उभरती है
किस दुःख का व्यापार हुआ
कौन रूठा, किया कौन प्रस्थान
किस विरह में मोती टूटा
या हुआ, जीवन का अवसान
मित्र, कुटुम्ब चकित होते
प्रश्नाकुल! दृष्टि पुछती है
कोलाहल भीड़ स्तब्ध हुआ
हर व्यथा संशय में दिखती है
स्वप्न बिखरा, उम्मीद पिटी
आशाएँ जीवन की अवरुद्ध,
उमंग मौन, उत्साह क्षीण
फफोले फूटे जीवन के विरुद्ध
बेसुध हृदय, नित्य रागरंग
मुस्कान तड़पकर सोती है
चंचल, चपल और शोख किरण
आहें धिक-धिक कर रोती है
मुस्कान सजाता मुखमंडल
आँखों में तेज चमकता है,
शृंगार छेड़ता तान मधुर
जीवन का दीप दमकता है
आकाश में तारे सजते हैं
वीणा के तार श्रृंखलित होते
आशा दीप जगमग करता
सृजन पल्लव विकसित होते
लहरों में उन्माद सजाता
हर स्वप्न नीर सी बहती है,
मुस्कान आत्मा का वैभव
कण-कण में नूपुर सी बजती है
आँसू है दुःख का वियोग
विरह गीत, रति का विलाप
मुस्कान सुख का आभूषण
चन्द्रकला, मन का मिलाप
कवि का परिचय
नाम-सुरेन्द्र प्रजापति
पता -गाँव असनी, पोस्ट-बलिया, थाना-गुरारू
तहसील टेकारी, जिला गया, बिहार।
मोबाइल न. 6261821603, 9006248245
सुंदर रचना????