युवा कवि कल्पित पांड्या की कविता-असहनीय धोखेबाजी
असहनीय धोखेबाजी
और नाराजगी का अधिकार नहीं
जिम्मेदार कोई एक नहीं इसका
ये एक पूरी व्यवस्था थी
हर किसी का एक अपना विभाग था
वो मेरे अपने थे ये मेरा दुर्भाग्य था
वक्त तो बीत जाया करता है
पर वो रक्त जम सा गया है
जो ट्यूमर बन जायेगा एक दिन
बहरहाल हाल बेहाल है
अभी समय मे ना कोई ताल है
जिंदगी बवाल है
पर खुशी है
उसने तोहफा संभाल कर रखा है
वो भी कमिनी कम ना थी
उसके अपने अलग फैसले थे
मेरे लिए वो एक मात्र प्लान था
पर उसका कोई और प्लान था
मेने नही सोचा था प्लान बी
अब उसने अपना बेटर ऑप्शन चूज कर लिया
खेर अब कौन किसी औरत का दिमाग पढ़ सकता है
जो हुआ सो हुआ
अपनो ने भी इस खेल में एंट्री ली
चेहरे बेनकाब हुए
अपने बेगाने हुए
रुक गया था सुहाना सफर जो चल रहा था कभी
अब सफर दुबारा शुरू होगा अभी
कोई कितनी भी साजिशें कर ले
ये मैं हूँ मैं
रुकूँगा नही अब तो ।
जरा भी नही
कवि का परिचय
कल्पित पंड्या
शिक्षा-एमएससी, पीएएमसीसी।
निवास-सागवाड़ा, डूंगरपुर राजस्थान।
वर्तमान में कल्पित बजाज फाइनेंस में जॉब कर रहे हैं। साथ ही वह सरकारी जॉब्स की तैयारी कर रहे हैं।
मो–9660960260
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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