युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की कविता-भूत भविष्य और वर्तमान तुम तीनों कालों के ज्ञाता हो
भूत भविष्य और वर्तमान तुम तीनों कालों के ज्ञाता हो।
तुम मृत्युंजय हो, तुम अभयदान वर दाता हो।।
तुम जान लेते हो जन मन की पीड़ा तुम त्रिकालज्ञ अंतर्यामी हो।
भूत, पिचास, नाग अरु गंधर्व महादेव तुम सबके स्वामी हो।।
कष्ट हरो, मंगल करो, उसके विकारों को दूर करो।
जो भक्त शरण तुम्हारी आता हो।
श्रद्धा सुमन, बेलपत्र, भाँग, धतूरा अरु दूध
जो नित सुबह कैलाशी तुमको चढ़ाता हो।।
भोला मेरा भोला है बिन मांगें ही दे देता सब कुछ मुझको,
जैसे उसका मेरा पिता पुत्र का नाता हो।
काल भी उससे डर के भागे
जो महाकाल के आगे शीश झुकाता हो ।।
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
परिचय-पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रुचि है। मोबाइल नंबर-75258 88880
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।