युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की कविता-हे नीलकण्ठ, हे शितिकण्ठ

हे नीलकण्ठं, हे शितिकण्ठ।
हे गंगाधर, हे अत्यन्तकठोर ।।
तुम भक्ति मात्र से हो जाते विभोर
हे मृत्युंजय, हे व्योमेश।
हे महेश, हे त्रिलोकेश।।
हे कपर्दी, हे जटाधर।
हे शशिशेखर, हे शंकर ।।
हे विरुपाक्ष, हे ललाटाक्ष।
हे सहस्त्राक्ष, हे रुद्राक्ष।।
हे शिव सर्वत्र, हे पंचवक्त्र।
हे अव्यय, हे अव्यक्त।।
हे अनेकात्मा, हे परमात्मा।
हे संहारक, हे भव तारक।।
हे सदाशिव, सदा मंगलकारक।
हे त्रिनेत्रधारी हे त्रिपुरारी।
हे कामारी सुन विनय हमारी ।।
हे शिव शम्भू, हे रुद्र विशाल।
हे कालों के काल, हे महाकाल।।
हे वीरभद्र, हे विश्वेश्वर।
हे महादेव, हे परमेश्वर।।
हे तारक, हे महेश्वर।
हे अनीश्वर, हे त्रिलोकेश्वर।।
हे पुरारति, हे उमापति।
हे पशुपति, हे प्रजापति।।
हे खण्ड परशु, हे परशुहस्त।
विष पीकर भी तुम रहते हो मस्त।।
हे शूलपाणी, हे मृगपाणी।
अमृत मय है तेरी वाणी ।।
हे भूतों के स्वामी, हे भूतनाथ।
नंदीगण रहते हैं सदैव जिनके साथ।।
पापमय मैं परंकुलीन, हे महादेव मैं हूँ अनाथ।
कर दयादृष्टि हे अवंतिका नाथ।।
सर पर रख कर,अपने वरद हाथ।
हे भोलेनाथ , कर दो सनाथ।।
कर दो सनाथ हे भोलेनाथ।
हे भोलेनाथ कर दो सनाथ।।
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
परिचय-पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रुची है। मोबाइल नंबर-75258 88880
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।