युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की कविता-ए-वक़्त ख़ुद पर इतना ग़ुरूर न कर तू वक़्त ही तो है
ए-वक़्त ख़ुद पर इतना ग़ुरूर न कर तू वक़्त ही तो है,
वक़्त तू भी वक़्त एक वक़्त पर बदल जायेगा।
वक़्त जितना आजमाना हो आजमा ले मुझे,
वक़्त कोई मुझ जैसा हौसले वाला तू कहाँ से लाएगा।1।
वक़्त अभी भी वक़्त है तू वक़्त रहते सम्हल जा,
वक़्त वरना सम्हलने का भी तू वक़्त न पायेगा ।
वक़्त अभी वक़्त तेरा है कोई कमी मत छोड़ना,
वक़्त वरना वक़्त बीतने के बाद तू बहुत पछतायेगा ।2।
वक़्त की आजमाइशों से डर कर आशीष
महाकाल के चरण का आश्रय मुझसे न छोड़ा जाएगा।
देखना ए-वक़्त तुझको एक वक़्त पर रुला के रख दूँगा,
वक़्त जिस दिन जिस वक़्त वक़्त मेरा आएगा ।3।
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
परिचय-पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रुचि है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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