युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की कविता-मैं भी लिख सकता हूँ सच्ची झूठी कहानी
लिखने को तो मैं भी लिख सकता हूँ सच्ची झूठी कहानी।
आओ मैं सुनाता हूँ तुमको हकीक़त अपनी ज़ुबानी।।
हमको सांस देने की ख़ातिर वो सांस सांस लड़ी है।
हमारे लिए कभी हार मान लिया तो कभी ज़िद पर अड़ी है।।
वो जननी है जिसने हमें जन्म और प्यार दिया।
बदले में हमने उसको हर क़दम पर दुत्कार दिया।।
हमारे हर गुनाहों पर नादानी का पर्दा डालती है माँ।
अपने तन का लहूँ पिला कर हमको पालती है माँ।।
आज है विशेष दिन मैं भी तेरा सम्मान करूँगा।
कल से फिर हर तरह से मैं तेरा अपमान करूँगा।।
आज तो तेरे लिए मैं चाँद सितारों की चूनर बुनू गा।
कल से फिर मैं तेरा कोई भी न कहना सुनूंगा।।
कहने को तो सब कह रहे हैं आज तुझको महारानी।
पर हर दिन तू होती है घरों में मुफ़्त की नौकरानी।।
आज तेरी आरती उतारने और चरणों को चूमने वाले।
हम देते नही है तुझको कभी भी एक लोटा पानी।।
आ माँ तेरे संग एक तस्वीर लूँ और ज़माने को दिखाऊँ।
दिखावटी,बनावटी और झूठा प्यार मैं भी दिखाऊँ।।
आज तुझको भगवान से बढ़ कर भी मानेंगे।
फ़िर कल से तुझको हम न रत्तीभर जानेंगे।।
आज तू देवी है सबला और अवतारी है।
कल से फिर तू एक तुच्छ सामाजिक नारी है।।
आ आज प्रेम के सारे माप मैं तोड़ दूँ।
कल फिर तुझे वृद्धाश्रम में मैं छोड़ दूँ।।
माफ़ करना मुझे दिखावा और झूठ लिखना नही आता।
सच तो ये है मेरा कोई भी काम मेरी माँ को नही भाता।।
माँ मैं तेरे संग न कोई भी तस्वीर लगाऊँगा।
तेरी बात मानू तेरा सम्मान करूँ बस यही चाहूँगा।।
मेरी माँ कोई चमत्कार नही करती है।
मैं बेटा हूं उसका वो मुझे प्यार करती है।।
वो न देवी है न कोई भवानी वो एक दम साधारण है।
मेरी हैसियत मेरी शख्सियत सब उसके ही कारण है।।
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
परिचय-पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रूची है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।