युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की कविता-ये देश कैसा है

ये देश कैसा है?
मैं हिन्दू हूँ तू मुस्लिम है ये द्वेष कैसा है।
नफ़रतों हैं हवाओं में ये परिवेश कैसा है।1।
ख़्वाइस है एक दूजे को काट खाने की।
बस विचारों की ही भिन्नता है ये कलेश कैसा है।2।
ये देश कैसा है?
बन बैठे हैं हम इंसान ही इंसान दुश्मन के ।
आने वाली पीढ़ी को दुश्मनी का ये संदेश कैसा है।3।
रहनुमा बन लूट लेते हो तुम मातृभूमि को ।
ये दूमुहा भुजंगो का तुम्हारा भेष कैसा है।4।
ये देश कैसा है?
तुम्हारे कृत्य हैं पशुओं के जैसे सुन लो इंसानों ।
ख़ुदा ने क्या दिया था और तुम्हारा ये वेश कैसा है।5।
जल उठता है तुम्हारे आपसी झगड़ो से सारा मुल्क़।
तुम्हारे और हमारे इस पशुवत्तता का उद्देश्य कैसा है।6।
ये देश कैसा है
हमें आपस मे लड़ते देख वो पुरखे भी रोते हैं।
जिनके लिए ये जातियों में बंटा ये समाज भी एक देश जैसा है ।7।
क्या क्या न सोचा था शहीदों ने इस देश की ख़ातिर।
उन्होंने सोचा था क्या और आज ये देश कैसा है ।8।
ये देश कैसा है?
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रुचि है। मोबाइल नंबर-75258 88880
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
देश की बर्तमान स्थिति का सुंदर चित्रण, आज यही हो रहा है????????????????