युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की कविता- पाँच साल

पाँच साल
वो आया राजनीति में जनसेवा तो बस एक बहाना था।
उसको भी तो पाँच सालों में अकूत दौलत कमाना था।1।
राजनीति की अपनी अलग ही कहानी थी ।
नीयत में शायद उसके भी बेईमानी थी।2।
उसकी भी तो अपनी कोई मजबूरी थी।
या यूँ कहें बेईमानी बिन उसकी शख्सियत ही अधूरी थी।3।
सत्ता पा कर अब तो नेता जी की है बहुत ऐस ।
पुलिस अधिकारी चोर और बदमाश छोड़, ढूँढते हैं नेता जी की भैंस।4।
पाँच साल पहले देखा था उसको वो कोई और था ।
आज जिसके नाम का शोर सुनाई देता चारों ओर था ।5।
पहले रहता था जो फकीरों की तरह फटे हाल ।
आज राजनीति में राजा है शायद राजा ही चोर था।6।
सत्ता पाते ही कभी ग़रीब, कभी गऱीबी तो कभी भगवान का मज़ाक उड़ाना था।
धर्म और जाति के नाम पर कभी हिन्दू तो कभी मुस्लिम बस्ती में आग लगाना था।7।
जितने वादे किए थे उनमें से एक भी वादा नही निभाना था।
आख़िर वो भी क्या करता झूठे वादों और दिखावों का जमाना था।8।
और क्या क्या बताये किस्सा मंत्री जी के घोटालों का।
ये भूल गए है जनता को इनको तो सुध है केवल अपने भाई भतीजे और सालों का।9।
उठो उठो हाँ हाँ उठो सोए हुए माँ भारती के लालो ।
खतरे में है देश तुम्हारा इस देश की राजनीति को तुम सम्हालो ।10।
इन वादों और दिखावों के चक्कर मे कभी किसी किसान का खेत तो कभी मकान जल जाना था।
चुप हो जा विद्रोही तुझे ये सच का आईना नही दिखाना था।
ये सच का आईना नही दिखाना था।11।
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रुचि है। मोबाइल नंबर-75258 88880
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।