युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की कविता-देश का युवा हूँ भविष्य हूँ और बेरोजगार हूँ मैं

देश का युवा हूँ भविष्य हूँ और बेरोजगार हूँ मैं।
न कोई चमचा,न भक्त,न कोई चौकीदार हूँ मैं।
देश के भविष्य की ,गिरती हुई कगार हूँ मैं।।
पढ़ लिख कर भी मैं ठोकरें झेल रहा हूँ।
देश का युवा हूँ, भविष्य हूँ,और बेरोजगार हूँ मैं।।
गिरवी रख कर जमीन, मुझको पढ़ाया है।
माँ ने भी अपना मंगलसूत्र, इस यज्ञ में चढ़ाया है।।
अपनी ज़िंदगी तो काट ली जैसे-तैसे मुस्लफ़ी में।
ख़ुद पीछे रह कर उन्होंने, मुझे आगे बढ़ाया है।।
कैसे चुकायेंगे कर्ज़, यह सोच कर गिरते हैं आँसू।
मैं पोछ नहीं पाता, इतना बेबस और लाचार हूँ मैं।।
देश का युवा हूँ, भविष्य हूँ और बेरोजगार हूँ मैं।।
बात करूँ ग़र! रोजी रोटी की तो देशद्रोही हो जाऊँगा।
सच सुनकर कटने लगेंगे सर मैं सिरोही हो जाऊँगा।।
पकौड़े बेचना ग़र है, रोज़गार तो हम पकौड़े तलेगें।
वादा है साब आपसे चुनाव बाद आप भी हाथ मलेगें।।
तुम्हारे अत्याचारों को एक चेतावनी एक हुँकार हूँ मैं।
देश का युवा हूँ, भविष्य हूँ और बेरोजगार हूँ मैं।।
कई-कई साल हम न्यायालयों के चक्कर काटते हैं।
पारितोषक में आप हमको लाठियाँ बाँटते हैं।९।
एक भी ऐसी भर्ती नहीं जो विवादों में घिरी न हो।
साब एक भी सरकार नहीं जो कभी गिरी न हो।।
छुओगे हमको तो जल जाओगे, दहकती अंगार हूँ मैं।
देश का युवा हूँ,भविष्य हूँ और बेरोजगार हूँ मैं।।
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
परिचय-पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रूची है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।