युवा कवि महाबीर सिंह नेगी (दौला) की कविता-कोरोना

कोरोना
मानो लगता है कि जिंदगी की,
सबसे बड़ी जंग साबित होगी ये कोरोना,
जो थमने का नाम ही नही ले रही
बस सबको घायल किये हुए है
किसी को दिल से तो किसी को दिमाग से
मानो लगता है कि जिंदगी की,
सबसे बड़ी जंग साबित होगी ये कोरोना
मजबूरी और हालात ऐसे हो गये हैं,
कि कुछ भी सुझ नहीं रहा
बस एक ही प्रशन्न उठता है ,
मन में कि आखिर कब तक,
मानो लगता है कि जिंदगी की,
सबसे बड़ी जंग साबित होगी ये कोरोना
कमरे कि चार दिवारों में केद है सभी,
जैसे चिड़िया घर में बंद जानवर हो सभी
बैडिया नहीं बंधी है पावों में हमारे,
मगर ये हालात हमै जकडै हुए हैं
परेशानियां तो बहुत है ,
मगर ये हालात हमै जकडै हुए हैं
मानो लगता है कि जिंदगी की,
सबसे बड़ी जंग साबित होगी ये कोरोना
गाँव की बीरान गलियां और ,
शहर की सुनसान सड़के
मन को झकझोर करने वाली,
वो तरह-2 की तस्वीरें
चारों दिशाओं में लाशों के ढेर,
मन को पीड़ा दैने वाली ये हिदायतें
मनुष्य वैवश ओर परेशान हैं,
आखिर कब तक, आखिर कब तक
मानो लगता है कि जिंदगी की,
सबसे बड़ी जंग साबित होगी ये कोरोना
कवि का परिचय
नाम- महाबीर सिंह नेगी( दौला)
मूल निवास- ग्राम दौला, पोस्ट कंडारा, जिला रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड। वर्तमान में कवि गुजरात के अहमदाबाद में नौकरी कर रहे हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।