Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 16, 2024

बालिका दिवस पर शिक्षिका सोनिका रमोला नेगी की दिल को छू देने वाली रचना-जिसके पेट में होने पर ही

बेटियाँ………

जिसके पेट में होने पर ही,
घर में खुसर पुसर सी शुरू हो जाती है
पेट से है बहू..
जाने बेटी होगी
या होगा बेटा..
बेटा होता तो बेहतर था
भविष्य की चिंता न रहती..
और भी जाने क्या क्या…
इसी कशमकश में नौ माह भी कट जाते है…
फिर वो परी जमीं पर कदम रखती है
और आधे से ज्यादा रिश्तेदार बुझे मन से बधाई भी दे देते है..
लेकिन आंखों ही आंखो में
उस दंम्पत्ति से वादा भी चाहते है
कि आगे बेटा ही हो…
लेकिन वो नन्ही सी परी..
इन सब से बेखबर ..
कुछ ही दिनों में सबका दिल जीत लेती है…
भेदभाव से परे
प्यार भर देती है सबके जीवन में..
और इस भाव से परे
स्कूल से लेकर
घर में काम काज तक का असमान बंटवारा…
नियति सी लगती है उसे
और इसी में बेहतर करने के
संकल्प के साथ वो आगे बढ़ती है..
बिना किसी ना नुकूर के
शिकायतों को मन में दबा..
आगे बढ़ती है..
आगे तो बढ़ती है
लेकिन मन में उसके अतीत रहता है
मां रहती है पिता रहता है
भाई रहता है
शादी के बाद भी
मायके में उसका एक जी रहता है..
कहीं भी रहे वो …
मां बाप का उसे हरपल दर्द रहता है
हौंसले देखकर तो यूं लगता है
जैसे कोमल काया में कोई मर्द रहता है…
जिसके आने में प्रश्नों की बहार थी..
आज उसके पास ही
घर की हर समस्या का हल है
उसके घर में होने से ही..
परिवार से जुड़ा आज और कल है..
आज समाज को
बेटे की चाह भी
उस अनचाही बेटी से है..
बेटो के ठुकराने पर
उम्मीद की राह भी
उस अनचाही बेटी से है..

कवयित्री का परिचय
सोनिका रमोला नेगी
प्रवक्ता राजनीति विज्ञान
राजकीय बालिका इंटर कालेज दौलाघट अल्मोड़ा।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

2 thoughts on “बालिका दिवस पर शिक्षिका सोनिका रमोला नेगी की दिल को छू देने वाली रचना-जिसके पेट में होने पर ही

  1. निःशब्द

    इस रचना की तारीफ़ करने के लिए शब्द नहीं हैं।

    बहुत प्यारी रचना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page