शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता- गौरा तेरी गजब कहानी
गौरा तेरी गजब कहानी
रैणी गांव के लोगों से ही।
हम सबने सुनी, एक कहानी थी।।
नाम था गौरा उसका।
गजब, उसकी कहानी थी।।
दुर्गा थी वो मां भवानी।
पेड़ों की उसे,जान बचानी थी।।
सन उन्नीस सौ पच्चीस में जन्मी थी।
चमोली में, लाता गांव की कहानी थी।।
पढ़ी लिखी, नही थी फिर भी।
अजब उसकी कहानी थी।।
गांव के लोगों से ही हमने।
सुनी एक कहानी थी।।
कम उम्र में, विवाह हो गया था उसका।
मेहरबान संग रस्में निभानी थी।।
पर शायद भगवान को, मंजूर न था ये।
काल ने उसकी, सिंदूर मिटानी थी।।
विधवा हो गई रानी गौरा अब।
अपनी उलझनें, सुलझानी थी
दस वर्ष के पुत्र का पालन करना ।
यही तो सच्ची, उसकी कहानी थी।।
वक्त बीत गया समय की धारा में।,
उसे पेड़ो की जान बचानी थी।।
रैणी गांव””””””””””””””थी।
नाम “”””” “”””””””””थी।।
सन उन्नीस सौ चहतर में हमने।
सुनी एक कहानी थी।।
पच्चीस सौ पेड़ काटने को।
ठेकेदारों की सेना आनी थी।।
पर हिम्मत न हारी गौरा ने।
वो तो बीर बलिदानी थी।।
लिपट गई पेड़ों पर, सहेलियों संग।
पेड़ों पर कुल्हाड़ी, नहीं चलवानी थी।।
भादी, विदुली,उमा,फगुनी।
उसकी खास सहेलियां थीं।।
पेड़ों पर जान न्योछावर करने की।
मिलकर, मन में सबने ठानी थी।।
रैणी गांव”””””””””””थी।
नाम”””””””””””””””””थी।।
खड़े थे आतुर, कुल्हाड़ी लिए दानव।
लगता पेड़ों की, ख़तम कहानी थी।।
चिपक पड़ी वे सब पेड़ों पर।
आज उनको पेड़ों की जान बचानी थी।।
भाग खड़े हुए, दानव सभी।
अब उनको, अपनी जान ,बचानी थी।।
याद रहेगा,बलिदान गौरा का सदा।
तेरी भी क्या गजब कहानी थी।।
रैणी गांव…………. थी।
नाम था…………… थी।।
सो गई, सदा के लिए गौरा अब।
सन उन्नीस सौ, इक्यानब्बे की कहानी थी।।
चिपको वूमन कहलाई वो।
हार नहीं उसने मानी थी।।
हम भी सीखें, कुछ गौरा से।
वो पेड़ों की, कितनी दीवानी थी।।
उसे प्रकृति और गांव के खातिर।
पेड़ों की जान बचानी थी।।
रैणी गांव…………..थी।
नाम था…………थी।
कवि का परिचय
नाम- श्याम लाल भारती
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
भौत सुंदर, जै गौरा देवी