महाशिवरात्रि पर्व पर शिक्षक माधव सिंह नेगी की कविता- देवाधिदेव महान हैं
देवाधिदेव महान हैं
जिनकी पूजा सबसे आसान है,
वो देवाधिदेव महादेव महान हैं।
जितने सरल व उदार शिव हैं,
उतना ही विकट उनका स्वरूप है।।
गले में सर्प, कानों में बिच्छू के कुण्डल,
तन पर बाघम्बर, सिर पर त्रिनेत्र।
हाथों में डमरू, त्रिशूल और वाहन नन्दी,
यह विशेषता सब देवों से है अलग।
गले में सर्प और कानों में कुण्डल,
यह संदेश हमको देते निरन्तर।
जब तक आप उन्हें छेड़ेंगे नहीं,
बुरे लोग भी कुछ आपका करेंगे नहीं।।
वस्त्र हमेशा सुलभ धारण करते हैं।
भस्म और वाघम्बर से तन को ढकते हैं,
शिक्षा हमें बहुत सुन्दर देते हैं,
महंँगे कपड़े आम लोगों से हमें दूर करते हैं।।
तीसरा नेत्र ज्ञानेन्द्री का प्रतीक है,
बात हम सबके लिए यह सटीक है।
हमें हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए,
न्याय-अन्याय पर नजर रखनी चाहिए।।
डमरू खुद की वाणी का प्रतीक है,
समय आने पर ही उससे ध्वनि निकालते हैं।
परिस्थितियों के अनुरूप ही,
हमें बोलना सिखाते हैं।।
नन्दी धर्म के प्रतीक माने जाते हैं,
यह धर्म के अनुरूप चलना सिखाते हैं।
अधर्म नहीं, धर्म से हमें सफलता मिलती है,
चहुँ ओर और सुख और शान्ति बिखेरती है।।
त्रिशूल शिव का हथियार है,
जो तीनों कालों को दर्शाता है।
भूत, भविष्य और वर्तमान पर,
भगवान शिव से नियन्त्रण करवाता है।।
वर्तमान में जीना, भविष्य के लिए योजना,
अतीत के अनुभव से सीखना।
सफलता के तीन सूत्र त्रिशूल फन दर्शाते हैं,
इसलिए भोलेनाथ महान कहलाते हैं।।
वस्त्र हमेशा सुलभ धारण करते हैं।
भस्म और वाघम्बर से तन को ढकते हैं,
शिक्षा हमें बहुत सुन्दर देते हैं,
महंगे कपड़े आम लोगों से हमें दूर करते हैं।।
शक्ति अनेक रूपा हैं।
कल्याण एक रूपा हैं।
शिव सम्बन्धित प्रत्येक वस्तु,
मानव कल्याण प्रतीकरूपा हैं।।
शक्ति के अभाव में,
शिव शव स्वरूपा हैं।
सत्य शिव की देह,
शक्ति प्राण रूपा हैं।।
शिव शक्ति तुम्हें नमन,
नमन हे अविनाशी,
करो जग का कल्याण,
हे संन्यासी घट-घट वासी ।।
कवि का परिचय
नाम- माधव सिंह नेगी
प्रधानाध्यापक
राजकीय प्राथमिक विद्यालय जैली, ब्लॉक जखोली, जनपद रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।