शिक्षिका डॉ. पुष्पा खण्डूरी की शिक्षकों और छात्रों का आह्वान करती कविता- जागो शिक्षकों, छात्रो जागो
जागो शिक्षकों, छात्रो जागो
जागो शिक्षकों, छात्रो जागो ।
जागो एक बार सब जागो । ।
उच्च शिक्षा पर संकट भारी ।
निजीकरण की है तैयारी ॥
है प्रदेश पर संकट गहराया ।
कैसी विषाक्त ये हवा चली है ।
त्राही त्राही सब ओर मची है ॥
शिक्षा का सर्वाधिकार मिला है।
फिर मेरे तेरे का ये कैसा शोर मचा है ॥
प्रजातन्त्र और राजतन्त्र में मची लड़ाई ।
संविधान और कानूनों की जमकर हो रही धुनाई ॥
करोना के संकट पर भी ये संकट,
ये संकट पड़ गया है भारी ।
शिक्षकों के वेतन पर संकट,
छात्रों की डिग्री पर संकट । ।
अभिभावकों की जेब पर संकट ।
कर्मचारी की कुर्सी पर भारी ।
शिक्षा का अधिकार क्या देंगे ॥
ये मिला हुआ भी वापस लेंगे ।
शिक्षकों से वैर पाला छात्रनिधि से
छीन कर भी खाएँ निवाला । ।
जनता को केवल विष बाँटे,
पीना चाहें अमृत का प्याला । ।
गुरुओं से मत करो लड़ाई ,
कृषकों का हक दे दो भाई ॥
एक ज्ञान दाता है सबका,
दूजा अन्न दान देता है भाई ।
अपने गिरेवानों में झांको ,
शिक्षक को कम कभी न आंको ॥
लोकतन्त्र के शिक्षक हैं प्रहरी ,
पलटा दें राज्य ल गे न देरी ॥
गुरु से ही तो तुम शिक्षा पाकर ,
आज उन्हें सोचते चाकर ।
तुमको क्या ये ही पाठ पढ़ाया ,
गुरुद्रोह किसने सिखलाया ॥
सबका अधिकार न छीनो भाई ॥
गुरुद्रोह में नहीं कभी भलाई ।
सब अपराध क्षम्य हो सकते हैं,
पर गुरुद्रोही सदा रोते हैं ॥
गुरु की महिमा कबीर ने गाई ।
प्रभु से भी ऊँची , गुरु की
पदवी बतलाई ॥
गुरु से वैर तुम करो ना भाई,
इसमें ही तुम सबकी भलाई ॥
कवयित्री का परिचय
डॉ. पुष्पा खण्डूरी
एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष हिंदी
डीएवी० (पीजी ) कालेज, देहरादून, उत्तराखंड