रुद्रप्रयाग के कवि कालिका प्रसाद सेमवाल की कविता-माँ
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माँ
माँ लक्ष्मी है
दौलत है
विद्या की देवी
सरस्वती है
मित्र भी है
खोल देते है
हम अपनी मन
की परतें
माँ कुवेर का
खजाना है
माँ ने
कभी खाली हाथ
नहीं लौटाया
कुछ न
मिला तो
अपनी
स्नेहिल स्पर्श
से भर देती
हमारी झोली।
कवि का परिचय
कालिका प्रसाद सेमवाल
अवकाश प्राप्त प्रवक्ता, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा।
निवास- मानस सदन अपर बाजार रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
माँ पर सुन्दर रचना????