बाल कवयित्री दीपिका की कविता- लेना देना और सीख
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लेना देना और सीख
जो सिखाए ज्ञान तुमको ,
उससे ज्ञान तुम लेना।
जो बताये चोर का रस्ता,
उस पर ध्यान मत देना।
पिताजी ने कहा है मुझको,
पढ़ाई हमेशा करना।
पापा से सीख तुम लेना,
बड़े होकर काम के पैसा देना।
बड़ी बहन से राखी बांधना,
भाई से तुम रक्षा करना सीखो।
दोस्तों से तुम प्यार से रहना,
बच्चों से बचपन की यादें सीखो।
याद करो तुम वो प्यारी प्यारी बाते,
जो तुमने है सीखा ।
लेना ओर देना चलता रहता है दुनिया में,
पर इन सब पर ध्यान मत देना ।
सीख लेना ही बड़ी बात है,
उस पर हमेशा ध्यान तुम देना।
कवयित्री का परिचय
कु. दीपिका
कक्षा -7
राजकीय पूर्व माध्यमिक, विद्यालय डोईवाला देहरादून, उत्तराखंड।
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