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December 15, 2024

अतुल सुभाष को श्रद्धांजलि स्वरूप युवा कवि सूरज रावत की कविता- अफसोसः हाय रे न्याय व्यवस्था मेरे मुल्क की

हाय रे न्याय व्यवस्था मेरे मुल्क की ये क्या हो गयी,
निर्दोष मर गया और ये दुनिया निर्मोही हो गयी,
वो बेकसूर था, उसको सताया जा रहा था,
अनोखे कानून की आड़ पर उसको फंसाया जा रहा था,
इन साजिशों को झेलकर उसकी आत्मा दुखी हो गयी,
हाय रे न्याय व्यवस्था मेरे मुल्क की ये क्या हो गयी,
वो भी चिराग था किसी के घर का,
जिसे पत्थर दिलों ने बुझने पर मजबूर कर दिया,
क्या करता वो बेचारा, बेसहारा,
जिसकी खुद की औलाद को इन्होंने छल से हर लिया,
हाय रे न्याय व्यवस्था मेरे मुल्क की ये क्या हो गयी, (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)

कोशिश बहुत करी उसने खुद को निर्दोष साबित करने की,
कोशिश बहुत करी उसने एक सच्चा न्याय हासिल करने की,
पर अफ़सोस
इनकी साजिश की जंजालों में खुद को बचा ना पाया,
बेचारा गम को पचा ना पाया और दुनिया छोड़कर चला गया,
हाय रे न्याय व्यवस्था मेरे मुल्क की ये क्या हो गयी,
कानूनी दांव पेच और अंधे कानून के चलते, एक युवा मर गया,
कुछ बेरहमों की साजिशों के चलते, घर को सूना कर गया,
माँ की कोख हो गयी खाली,
बापू का सहारा चला गया,
भाई का सच्चा साथी, और बहन का प्यारा चला गया,
हाय रे न्याय व्यवस्था मेरे मुल्क की ये क्या हो गयी, (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)

अरे कितना करता वो खुद को साबित,
कितने सबूत और कितने गवाह पेश करता,
वहां तो कानून की आड़ पर केश चल गया,
खुद को सबित करते करते वो जिंदगी की जंग हार गया,
हाय रे न्याय व्यवस्था मेरे मुल्क की ये क्या हो गयी,
आज एक की खबर फैली है,
पर ना जाने रोज ऐसे कितने मर रहे हैं,
विश्वास उठने लगा है रिश्तों से, क्योंकि रिश्ते अब शक से घिर रहे हैं
आज उसके लिए कोई रोयेगा और कोई दुख जतायेगा,
में पूछता हूँ, क्या आज कोई आवाज़ उठायेगा,
बड़े बड़े कानून हैं मेरे मुल्क में,
क्या मर्दों के लिए भी कोई कानून बन पायेगा,
हाय रे न्याय व्यवस्था मेरे मुल्क की ये क्या हो गयी,
निर्दोष मर गया और ये दुनिया निर्मोही हो गयी। (जारी, अगले पैरे में देखिए)

अतुल सुभाष आत्हत्या प्रकरण
34 साल के AI इंजीनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली थी। 9 दिसंबर को अतुल का शव बेंगलुरु में उनके फ्लैट से मिला था। उन्होंने 1 घंटे 20 मिनट का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड भी किया था। इसमें उन्होंने ये भी कहा कि मेरी अस्थियों का विसर्जन तब तक मत करना, जब तक मुझे प्रताड़ित करने वालों को सजा नहीं मिल जाती। अगर मेरी पत्नी, ससुरालवाले और जज बेगुनाह साबित हो गए, तो मेरी अस्थियां कोर्ट के बाहर किसी गटर में बहा देना। आत्महत्या से पहले ये बातें 24 पेज के सुसाइड नोट में लिखी थी। उसके हर पेज के ऊपर लिखा था- जस्टिस इज ड्यू। (जारी अगले पैरे में देखिए)

अतुल ने वीडियो में बताया कि उनकी पत्नी निकिता ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर में उनके खिलाफ कई झूठे केस दर्ज करवाए हैं। वह केस वापस लेने के लिए तीन करोड़ रुपए मांग रही है। कपल का एक 4 साल का बेटा भी है। निकिता ने उससे मिलने की इजाजत देने के लिए 30 लाख की डिमांड की थी। अतुल बेंगलुरु के मराठाहल्ली इलाके में डेल्फिनियम रेसिडेंसी में रहते थे। यहां अधिकतर IT प्रोफेशनल्स ही रहते हैं। अतुल पुरुष अधिकारों के लिए काम करने वाले कई NGO से जुड़े थे।
कवि का परिचय
सूरज रावत, मूल निवासी लोहाघाट, चंपावत, उत्तराखंड। वर्तमान में देहरादून में निजी कंपनी में कार्यरत।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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