युवा कवि प्रतीक झा की कविता-भारत-रूस मित्रता का अटूट संकल्प
भारत-रूस: मित्रता का अटूट संकल्प
स्वतंत्र भारत, चुनौतियों का सागर,
सामने खड़ा था संघर्ष का पर्वत।
अशिक्षा, गरीबी, जाति का बंधन,
नेहरू-सरदार ने पाया नया मार्ग।
जब आया रूस, संकट का साथी,
समाज, विज्ञान में दी उसने प्रगति।
औद्योगिक विकास का रचाया सवेरा,
भारत का भाग्य बना उसने रचा नया चेहरा।
कश्मीर की गूंज, गोवा की आवाज,
हर कठिनाई में रूस बना ढाल।
संघर्ष के क्षणों में दिया सहारा,
सुरक्षा परिषद में हमेशा भारत का सहायक। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
परमाणु, अंतरिक्ष, सैन्य सहयोग,
रूस ने भारत को दिया हर संयोग।
पंचवर्षीय योजनाओं में साथ निभाया,
भारत को विश्व मंच पर ऊँचा उठाया।
और जब रूस ने माँगी थी सहायता,
हंगरी, अफगान, यूक्रेन की परिभाषा।
भारत ने दिखाया वो अद्भुत साथ,
हर परिस्थिति में दोस्ती का रहा विश्वास।
दबाव चाहे जितना आए विश्व का,
न तोड़ सके कोई ये अटूट बंधन।
इतिहास की ये दोस्ती पर्वत समान,
भारत-रूस का रिश्ता बने महान।
कवि का परिचय
नाम- प्रतीक झा
जन्म स्थान- चन्दौली, उत्तर प्रदेश
शिक्षा- एमए (गोल्ड मेडलिस्ट)
शोध छात्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।