पीएम मोदी ने मांगी देशवासियों से क्षमा, कृषि कानून वापसी की घोषणा, टिकैत बोले-अभी वापस नहीं होगा आंदोलन, उत्तराखंड में दलों की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश के नाम संबोधन में एक बहुत बड़ी घोषणा करते हुए तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया। गुरुपर्व के मौके पर देश को संबोधित कर रहे पीएम ने कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का फैसला सुनाया।
प्रधानमंत्री ने आज अपने संबोधन में कहा कि हम तीन नए कानून लाए गए थे। मकसद था छोटे किसानों को और ताकत मिले। वर्षों से इसकी मांग हो रही थी। पहले भी कई सरकारों ने इन पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई मंथन हुआ और यह कानून लाए गए। देश के कोने कोने में कोटि-कोटि किसानों ने अनेक किसान संगठनों ने इसका स्वागत किया समर्थन किया। मैं आज उन सभी का उन सभी का बहुत आभारी हूं, धन्यवाद करना चाहता हूं।
पीएम ने कुछ यूं किया कानून वापस लेने की घोषणा
इन कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा करने से ठीक पहले पीएम ने कुछ यूं अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कोशिशों के बावजूद हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए, भले ही किसानों का एक वर्ग ही विरोध कर रहा था। हम उन्हें अनेकों माध्यमों से समझाते रहे। बातचीत होती रही। हमने किसानों की बातों को तर्क को समझने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। हमने 2 साल तक इन नए कानूनों को सस्पेंड करने की भी बात की। आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में कोई कमी रही होगी, जिसके कारण दिए के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए। हमने इन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। पीएम ने कहा कि संसद के इसी शीतकालीन सत्र में सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पूरा कर देगी। यानी कि इस शीतकालीन सत्र में ये कानून आधिकारिक तौर पर हटा लिए जाएंगे।
बता दें कि मोदी सरकार ने इन कानूनों को जून, 2020 में सबसे पहले अध्यादेश के तौर पर लागू किया था। इस अध्यादेश का पंजाब में तभी विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद सितंबर के मॉनसून सत्र में इस पर बिल संसद के दोनों सदनों में पास कर दिया गया। किसानों का विरोध और तेज हो गया। हालांकि इसके बावजूद सरकार इसे राष्ट्रपति के पास ले गई और उनके हस्ताक्षर के साथ ही ये बिल कानून बन गए। तब से पंजाब-हरियाणा से शुरू हुआ किसान आंदोलन 26 नवंबर तक दिल्ली की सीमा पर पहुंच गया और आज तक यहां कई जगहों पर किसान मौजूद हैं और आंदोलन बड़ा रूप ले चुका है।
किसानों ने बांटी मिठाई, मनाई खुशी, राकेश टिकैत बोले-तत्काल वापस नहीं होगा आंदोलन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के मौके पर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करके हर किसी को चौंका दिया। उन्होंने अपने संबोधन में आंदोलन खत्म कर किसानों को घर लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा कि किसान अपने खेत में लौटें, अपने परिवार के बीच लौटें। हालांकि किसान नेता राकेश टिकैत ने स्पष्ट कर दिया है कि किसान आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा। भारतीय किसान यूनियन (BKU)के प्रवक्ता टिकैत ने एक ट्वीट में यह बात कही। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि-आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करे।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने किसानों को दी बधाई
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस चुनाव संचालन अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने किसानों को बधाई दी और इसे लोकतंत्र की जीत बताया। पूर्व सीएम हरीश रावत भी कृषि कानून को लेकर पहले से ही भाजपा सरकार पर हमलावर रहे। उन्होंने इस फैसले पर खुशी जताई। पूर्व सीएम ने इंटरनेट पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि- अहंकार से चूर सत्ता ने उन तीन काले कानून, जो किसानों का गला घोंट रहे थे, उन्हें वापस ले लिया है। ये किसान भाइयों की जीत है। उन एक हजार के करीब शहीदों की जीत है, जिन्होंने अपने प्राण दिए, ताकि उनको जीत हासिल हो। उन्होंने किसानों को इस जीत के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा हम इसे लोकतंत्र की जीत मानते हैं, क्योंकि सत्ता का अहंकार जनता के संघर्ष के सामने झुका है।
कृषि कानून रद्द होना जनता की विजय: नवप्रभात
उत्तराखंड में कांग्रेस नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री नवप्रभात ने कहा कृषि कानून रद्द होना जनता के संघर्ष की जीत है। उन्होंने कहा केंद्र सरकार ने महंगाई बढ़ाकर वैसे ही जनता को बेहाल किया हुआ है। किसानों के लंबे आंदोलन के बाद और कांग्रेस के किसानों के साथ किए गए संघर्ष का ही नतीजा है कि तीनों कानून रद करने पड़े।
किसान आंदोलन की जीत
उत्तराखंड किसान सभा और सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू ) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा को किसान आंदोलन की जीत करार दिया है। एक बयान जारी कर उत्तराखंड किसान सभा के महामंत्री कमरुद्दीन व सीटू के महामंत्री लेखराज ने कहा कि जब तक एम.एस.पी. पर कानून नही बनता, बिजली बिल को वापस नही लेते, श्रम कानूनों में संशोधन वापस लेने, लखीमपुर खीरी कांड के दोषी गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
भारत के इतिहास में लिखा जाएगा आज का दिनः कर्नल कोठियाल
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के सीएम प्रत्याशी कर्नल (सेनि) अजय कोठियाल ने एक बयान जारी करते हुए कहा, आज का दिन भारत के इतिहास में 15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह लिखा जाएगा। आज लोकतंत्र की जीत हुई है। आज किसानों ने सभी सरकारों को बता दिया जनतंत्र में सिर्फ और जनता ही मालिक होती है। भारत का ये किसान आंदोलन पूरी दुनिया के लिए एक सफल अहिंसक आंदोलन का सबूत है। पूरी दुनिया में इतना बड़ा और लंबा आंदोलन शायद ही कभी हुआ होगा।
पीएम मोदी के कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा पर उन्होंने कहा कि एक बात का दुख है कि इस आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की जान चली गई। अगर केंद्र सरकार पहले ही ये कानून वापस ले लेती तो उन किसानों की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने कहा हमारी आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी कि कैसे आपके संघर्ष और बलिदान ने किसान और किसानी की रक्षा की। जो सर्द रातों में, तेज बारिश में लाठी डंडों के बाद भी हमारी किसानी को बचाने के लिए डटे रहे। उन तमाम किसानों को मैं और सभी आप कार्यकर्ता नमन करते हैं।
सीएम धामी ने पीएम मोदी का किया आभार
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से परिसंपत्तियों के विवाद को निपटाने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पत्नी गीता धामी संग शुक्रवार को चंपावत जिले के नाखुडा (खरही) में साक्षी फाउंडेशन के आध्यात्मिक गुरु प्रेम सुगंध के आश्रम पहुंचे। जहां उन्होंने शिष्टाचार भेंट की और आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के मसले पर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने पीएम मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने किसानों की भावनाओं का ख्याल रखा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।