गंगोत्री के तीर्थ पुरोहितों ने ठुकराई सरकार से सहायता राशि, बोले-बिजली और पानी के बिल हों माफ
विश्वप्रसिद्ध धाम गंगोत्री के तीर्थ पुरोहितों की बैठक में सरकार की ओर से दी जाने वाली एक हजार रुपये की सहायता राशि को ठुकराने का निर्णय किया गया।

विश्वप्रसिद्ध धाम गंगोत्री के तीर्थ पुरोहितों की बैठक में सरकार की ओर से दी जाने वाली एक हजार रुपये की सहायता राशि को ठुकराने का निर्णय किया गया। साथ ही उन्होंने साफ तौर से कहा कि लॉकडाउन में गंगोत्री में अकेले तीर्थ पुरोहित ही प्रभावित हुए। ऐसे में वहां सभी के बिजली और पानी के बिल माफ किए जाएं।
गंगोत्री मंदिर समिति की ओर से पिछले साल अक्टूबर माह से ही बिजली और पानी के बिलों को माफ करने की मांग की जा रही है। तीर्थ पुरोहितों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान पूरा गंगोत्री बंद रहा। यात्री नहीं आए। लॉकडाउन के बाद भी यात्री नाममात्र के ही आए। ऐसे में वहां के होटल व अन्य व्यवसाय भी चौपट रहे। इन सबके बावजूद सरकार ने उनके बिजली और पानी के बिल माफ नहीं किए। सभी दुकानदारों, तीर्थ पुरोहितों को लंबे चौड़े पानी के बिल थमा दिए।
तीर्थ पुरोहितों ने इस संबंध में कई बार जिलाधिकारी को भी पत्र लिखा। साथ ही उन्हें इस समस्या से भी अवगत कराया। इसके बाद उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की ओर से तीर्थ पुरोहितों को एक हजार रुपये की सहायता राशि दी जा रही है। इस संबंध में पर्यटन विभाग की ओर से 11 जनवरी को मंदिर समिति को पत्र भेजा गया। इस पत्र के माध्यम से तीर्थ पुरोहितों के नाम, बैंक का नाम व खाता नंबर, आधार कार्ड नंबर, बैंक का आइएफएससी कोड आदि की जानकारी मांगी गई है।
तीर्थ पुरोहितों को दी जाने वाली एक हजार रुपये की सहायता राशि का तीर्थ पुरोहितों ने ही विरोध करना शुरू कर दिया। आज इस संबंध में गंगोत्री मंदिर समिति उत्तरकाशी स्थित धर्मशाला में आयोजित बैठक में कहा गया कि इस मामले में सरकार गंगोत्री में रहने वालों में आपसी फूट डालने का प्रयास कर रही है। गंगोत्री में अकेले तीर्थ पुरोहित नहीं रहते हैं। यात्रा व्यवस्था होटल, रेस्टोरेंट, कंडी डंडी संचालक, घोड़ा संचालक, गाइड, मंदिर में ढोल बजाने वाले बागची सहित अन्य लोगों के सहयोग से यात्रा व्यवस्था संचालित होती है। सभी को लॉकडाउन की अवधि में आर्थिक नुकसान हुआ। ऐसे में सिर्फ तीर्थ पुरोहितों को सहायता राशि देने का विरोध किया जाएगा।
साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को सहायता राशि की बजाय गंगोत्री में बिजली और पानी के बिल माफ करने चाहिए। क्योंकि जब लॉकडाउन में सबकुछ बंद रहा तो ऐसे समय के बिजली और पानी के बिलों का औचित्य ही नहीं है। गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सचिव संजीव सेमवाल, संजय सेमवाल, दीपक सेमवाल, गंगा सभा के सचिव प्रकाश सेमवाल आदि मौजूद थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।